संगीतकार नौशाद साहब और मदन मोहन जी ने भी कुछ गीत विदेशी धुनों से इंस्पायर्ड होकर bollywood में संगीत दिया जानिए कौन से गीत थे

 




बॉलीवुड में इंस्पायर्ड गीतों के बारे में कई बार चर्चा हुई है या यूं कह लीजिए कि कॉपी किए हुए गीतों के बारे में या उनकी धुनों के बारे में। आप हैरान हो जाएंगे की 50 और 60 के दशक में जाने-माने संगीतकार नौशाद साहब और मदन मोहन जी  ने भी कुछ गीत विदेशी धुनों  से इंस्पायर्ड होकर bollywood  में संगीत दिया था। सन 1951 में आई फिल्म `उड़न खटोला' का गीत जो कि एक अरेबियन गीत से इंस्पायर्ड हुआ है। फिल्म उड़न खटोला का गीत `मेरा सलाम ले जा ' गीत तो आपने जरूर सुना होगा। जी हां दोस्तों इसी गीत की धुन उसी अरेबियन गीत से नौशाद साहब ने इंस्पायर्ड होकर फिल्म उड़न खटोला का यह गीत तैयार किया था। दरअसल यह अरेबियन गीत है जो सं 1947 में आया था। यह गीत नूर अल हौंडा और अब्दुल वहाब जैसे कलाकारों ने गया था। नौशाद साहब का दूसरा गाना है फिल्म जादू का `जब नैन मिले नैनो से 'जो आई थी फिल्म 1951 में यह गाना हॉलीवुड का  एक गीत  `लव ऑफ कार्मिन' का है। 
मदन मोहन साहब के तीन कॉपी या कह लीजिए कि इंस्पायर गीत है। पहला गाना है फिल्म `आखरी दाव  से। `तुम्हें क्या सुनाऊं मैं दिलरुबा तेरे सामने मेरा हाल है। जो कि आया था 1958 में। यह गाना कॉपी है फिल्म संगदिल के गीत `यह हवा यह रात यह चांदनी' इस का संगीत दिया था सज्जन हुसैन ने।   दूसरा गाना है `दिल से दिल मिला कर देखो ;फिल्म `मेम साहब' का जो आई थी 1956 में और यह गाना इंस्पायर्ड है लियो स्टोन से जो आया था 1934 मेंl आखिरी गीत `थोड़ी देर के लिए'फिल्म `अकेली मत जइयो 'जो आई थी 1963 में यह गाना इंस्पायर्ड है हर्नाडोज हाईवे के गीत से जो सन 1934 में आया था l

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने