विम्मी :अपने ज़माने की खूबसूरत हीरोइन II कंगाल हो गई थी,शव को ठेले पर रख कर शमशान घाट लेजाया गया था।

 विम्मी :अपने ज़माने की खूबसूरत हीरोइन  

VIMMI  Photo Courtesy; Amarjit Chandan




     BOLLYWOOD की चकाचौंध में हर कोई डूबना चाहता है। यह चमक बाहर से कुछ और नजर आती है और अंदर से कुछ और नजर आती है। पर्दे के आगे कुछ और होता है और पर्दे के पीछे कुछ और होता। पर्दे के पीछे की कहानियों का सच लोगों तक पहुंच ही नहीं पाता। ऐसे ही एक अदाकारा थी जिसने अपने आखिरी दिनों में मुफ्लसी की  जिंदगी व्यतीत की। 1960 के दशक की खूबसूरत अदाकारा विमी (Vimmi) जिसकी खूबसूरती के लोग कायल थे और प्रोड्यूसर डायरेक्टर उसको अपनी फिल्मों में लेना चाहते थे। हमराज (Humraj)जी हां दोस्तों अपने जमाने की सुपरहिट फिल्म जिसमें राजकुमार और सुनील दत्त जैसे दिग्गज कलाकारों ने काम किया था। फिल्म के गीत सुपरहिट रहे थे।विम्मी फिल्म की हीरोइन थी। 
      विम्मी का जन्म सन 1943 में जलंधर में एक पंजाबी घराने में हुआ था। एक्टिंग का बहुत शौक था। पहले पढ़ाई खत्म की उसके बाद मुंबई के एक कॉलेज में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की. जैसे ही उनकी पढ़ाई खत्म हुई शादी हो गई। शादी शिव अग्रवाल जोकि कोलकाता के एक बहुत बड़े व्यापारी थे उनके साथ हुई। विम्मी की शादी के बाद  फिल्मी लाइन में किस्मत जाग गई। एक समारोह में उनकी मुलाकात संगीतकार रवि से हुई। रवि ने उनको कहा कि आप मुंबई आइए और जब विमी मुंबई आई तो रवि ने उनकी मुलाकात जाने-माने डायरेक्टर बी आर चोपड़ा से करवाई और तुरंत ही बीआर चोपड़ा ने उन्हें अपनी फिल्म हमराज के लिए साइन कर लिया।  दोस्तों यह फिल्म खूब चली। पति बड़े बिजनेसमैन थे इसीलिए उनको कभी पैसे की कमी नहीं खली। फिल्मों में काम करना तो विम्मी का एक शौक था। बढ़िया कपड़े पहनना  सबसे बड़ा शौक था। महंगे से महंगा डिजाइनर ड्रेस वह उस समय पहनती थी। फिल्म हिट हो गई उसके बाद विम्मी ने मुंबई में आलीशान बंगला भी खरीद लिया।कहते हैं कि विम्मी के पास कई महंगी गाड़ियां भी होती थी।
           हमराज के अलावा पंजाबी फिल्म नानक नाम जहाज है(Nanak Naam Jahaj Hai) में विम्मी की अहम् भूमिका थी। फिल्म सुपर हिट रही थी और पंजाबी सिनेमा में एक मील का पत्थर साबित हुई थी। फिल्म को राष्ट्र्य प्रुस्कार से सम्मानित किया गया था। फिल्म में शब्द कीर्तन `मेरे साहिब मेरे साहिब`. रे मन ऐसो कर सन्यासा।फिल्म हमराज के गीत तो आज भी मकबूल है जैसे तुम अगर साथ देने का वडा करो। ना मुँह छुपा के जियो। नीले गगन के तले। किसी पत्थर की मूरत से। फिल्म आबरू(1968) का गीत `आप से प्यार हुआ आप खफा हो बैठे`। जिने हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते है। 1971 में शशि कपूर के साथ आई फिल्म पतंगा जिस का गीत थोड़ा रुक जाएगी तो तेरा का जाएगा। अपने समय का हिट गीत बी विम्मी की फिल्म का ही था। इस के अलावा फिल्म गुड्डी,वचन,कही आर कही पार,क्रोधी और पंजाबी फिल्म प्रेमी गंगा राम रही है। फिल्म हमराज की कामयाबी के बाद विम्मी की अगली फिल्म `आबरू` जो सन 1968 में एक नए सितारे दीपक कुमार के साथ आई थी। उस वर्ष कहां जा रहा था कि एक नए सितारे की खोज की गई है। लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ऐसे औंधे मुंह गिरी की जिसका खामियाजा अशोक कुमार, निरूपा रॉय और ललिता पवार जैसे दिग्गज कलाकारों को भी बचा ना सका और इसमें विम्मी तो थी ही। एक यह भी त्रासदी रही की बी आर चोपड़ा ने भी फिल्म हमराज के बाद उनको कभी भी अपनी फिल्म में साइन नहीं किया। विम्मी  ने कई फिल्में ऐसी साइन की जो शुरू तो हो गई लेकिन वह कंप्लीट ना हो सकी। उससे भी वह बहुत ज्यादा निराश हो गई थी। उनकी आखिरी फिल्म सन 1974 में शशि कपूर के साथ फिल्म वचन आई थी। 
            सफलता तो अक्सर मिल ही जाती है लेकिन उसको बरकरार रखना बहुत ही मुश्किल काम होता है। इस अदाकारा के साथ भी कुछ ऐसे ही हुआ। शायद फिल्मों में काम करना उनके पति को अच्छा नहीं लगा।  इसीलिए उनकी शादीशुदा जिंदगी में दरार आने शुरू हो गई। इसी कशमकश में आखिरकार उनका तलाक हो गया। तलाक होने के बाद विम्मी  परेशान रहने लगी। इतनी परेशान कि वह डिप्रेशन में चली गई। धीरे-धीरे उनके ऊपर कर्ज़ का बोझ भी बढ़ने लगा। उसके बाद भी  कर्ज में डूबे होने की वजह से उस को इतना तोड़ दिया की लोग उस से दूर होने लग गए।  फिल्मों के ऑफर भी आने लगभग बंद हो गए। जीवन बर्बादी की ओर बढ़ने लगा और विम्मी  ने अपने आप को शराब के नशे में डुबो लिया। शराब इतनी ज्यादा पीनी शुरू कर दी थी कि वह उनका लीवर भी खराब हो गया। कहते हैं कि विम्मी  के पास पैसे की बहुत ज्यादा कमी होनी शुरू हो गई थी। यहां तक कि जब विम्मी का 22 अगस्त सं 1977 को देहांत हुआ तो उनके शव को ठेले पर ले जाया गया। ऐसी दर्दनाक मौत के उनको आखिरी वक्त में कंधा देने वाला भी कोई नसीब नहीं हुआ था। 

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