SUNDER दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। कोई कंट्रोवर्सी नहीं की।पंजाबी फिल्मे भी रही हिट
किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि हिंदी सिनेमा के इस महान कलाकार के बारे में जिसने 436 फिल्मों में काम किया हो। जी हां दोस्तों भूल जाना इंसान की एक फितरत रही है। ऐसे ही एक कलाकार को आज हम सब भुला चुके हैं बस रह गई उनकी कुछ यादेंl सुंदर जी का जन्म लाहौर में हुआ था 14 मार्च सं 1908 को हुआ था। सुंदर जी का इतिहास पूरी तरह लुप्त हो चुका है यह हमारा एक दुर्भाग्य ही है कि जिसने 40 साल तक इस फिल्म इंडस्ट्री को अपनी बेहतरीन फिल्मों से अपने दर्शकों को हंसाया भी और रुलाया भी और खूब मनोरंजन किया हम लोग तो उन्हीं को ही याद रखने की कोशिश करते हैं जिन्होंने अपने जमाने में कोई ना कोई कंट्रोवर्सी की हो। सुंदर जी हमेशा अभिनय से ही जुड़े रहे।
ज्यादातर हंसी मजाक किरदार निभाने वाले सुंदर की सबसे पहली फिल्म इंपीरियल मॉल जो सन 1939 में रिलीज हुई थी। फिल्म इंपीरियल मेल 1939 से शुरू हुआ यह सफर अगले 40 साल तक चलता रहा। बेहतरीन अदाकारी से जाने वाले सुंदर जिनकी आखिरी फिल्म थी बहु रानी। जो 1989 में रिलीज हुई थी।वह ना केवल अच्छे अभिनेता थे और गायक भी थे। 1954 में आई फिल्म मस्ताना 1967 में आई फिल्म उपकार। 19 54 की आई फिल्म चांदनी चौक, लाल किला जैसी फिल्मों में उन्होंने अपनी आवाज भी दी थी। आपने बहुत सारी फिल्मों में उन्हें अभिनय करते देखा होगा पर आपको पता ही नहीं चला होगा कि इनका नाम सुंदर है। 1968 में आई फिल्म आबरू में इन्होंने टुनटुन के पति का रोल निभाया था और तुमको ओ मेरी व्हिस्की रानी कहकर मजाकिया किरदार निभाया था। 1955 की सुपरहिट फिल्म सीमा में मुरलीधर नाम का बेहतरीन रोल निभाया था। इस फिल्म में अभिनेता बलराज साहनी थे। इसी तरह 19 58 की धमाकेदार फिल्म हावड़ा ब्रिज में भी अच्छा बढ़िया बेहतरीन काम किया था। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह कितने बड़े कलाकार थे। इसके अलावा देवानंद साहब की फिल्म सोलवां साल में भी इन्होंने अभिनय किया था। इस फिल्म का एक मशहूर गीत है अपना दिल तो आवारा न जाने किस पर आएगा। वह देखा ही होगा आपने उस गीत में जो व्यक्ति माउथ ऑर्गन प्ले कर रहा था वह सुंदर ही थे। 40 साल अपने जीवन के सुंदर ने इस फिल्म इंडस्ट्री को दिए हैं। सुंदर ने आखरी सांस 5 मार्च 1992 को ली। 80 का जमाना आते आते सुंदर उन फिल्मों में भी दिखे जिनमें मेकर्स ने उनको क्रेडिट भी नहीं दिया। बहुत ही दुख भरी बात है।
सुंदर जी ने पंजाबी फिल्मों में भी अच्छा खासा नाम कमाया सन 1950 में आई फिल्म चाई,1952 में जुगनी, 1953 में लारा लप्पा,1950 में ही मदारी,1959 में भांगड़ा फिल्म जिस के गीत सुपरहिट रहे थे।अपने जमाने की सुपरहिट रही पंजाबी फिल्म भंगड़ा जोकि सन 1959 में रिलीज हुई थी। फिल्म के मुख्या कलाकार सुंदर थे जबकि उनकी ऑपोजिट हीरोइन निशि थी। फिल्म में गोपाल सहगल, मंजू, खरैती, विमला कुमारी, रामलाल जैसे बेहतरीन कलाकारों ने काम किया था। फिल्म का संगीत हंसराज बहल का था और फिल्म को डायरेक्ट किया था जुगल किशोर ने। फिल्म में कुल 7 गाने थे सभी सुपरहिट गीत थे। सुंदर जी के ऊपर फिल्माए गए गीत चिट्टे दंद हसनों नहियों रेह्न्दे। जट कुड़ियां तो डर दा मारा। इस के अलावा रब न करे। बति बाल के बनेरे उते। अम्बियां दे बूटियां न लग गया बूर नी।रफ़ी साहब और शमशाद बेगम ने फिल्म में गीत गए थे। गीत आज भी लोगों द्वारा सुने जाते हैं। अगले ही वर्ष एक और सुपर हिट फिल्म रही थी दो लछियां जिसमें भी सुंदर जी ने बेहतरीन अभिनय किया था। फिल्म में अन्य कलाकार थे गोपाल सहगल, इंदिरा बिल्ली, दलजीत, कृष्णा कुमारी, सतीश और खरैती . इस फिल्म को भी जुगल किशोर द्वारा डायरेक्ट किया गया था और संगीत एक बार फिर हंस राज बहल का था.फिल्म के गाने सुपरहिट रहे थे। तेरी कनक दी राखी मुंडेया। हाय नी मेरा बालम।एक पिंड दो लछियां ,भांवें बोल ते भांवें ना बोल। ओ मझ गां वालिया। गोरा रंग ना हो जाए काला सुपरहिट गीत थे। फिल्म दो लछियां, जीजाजी,बन्तो जिसमें खास करके अशोक कुमार, प्रदीप कुमार, निशी,दलजीत, मजनू और करतार सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। उसके इलावा यमला जट्ट,दुल्ला भट्टी, भक्ति में शक्ति, फिर यमला जट्ट,टाकरा,चोरां न मोर, चन प्रदेशी और विलायती बाबू जैसी सुपरहिट पंजाबी फिल्मों में शानदार अभिनय किया।
