संयुक्त पंजाब का पहला सिनेमा घर II CHITRA THEATRE,उस समय बिजली भी नहीं होती थी।फिर कैसे चलती थी फिल्म

 जाने संयुक्त पंजाब का पहला सिनेमा घर 


 म्हणा सिंह का मंडुआ 

उस समय लोग मनोरंजन के लिए ऐसा कोई स्थान  (events near me)  ढूंढ़ते थे जंहा वह बैठ कर मनोरंजन कर सके। आम लोगों के लिए ऐसा कोई स्थान ( event venue )नहीं होता था। पंजाब का सबसे पहले बनने वाला सिनेमाघर या यूं कह दीजिए कि संयुक्त पंजाब का पहला सिनेमाघर जो कि अमृतसर में बना था। `चित्र सिनेमा` अमृतसर के हाल गेट के कुछ मीटर दूरी पर यह सिनेमा आज खंडहर बन चुका है। इस सिनेमा को बनाने का श्रेय सरदार म्हणा  सिंह जो कि अमृतसर के नजदीक ही जंडियाला गुरु का रहने वाला था और जिसका जन्म सन 18 64 के करीब हुआ था। बताते हैं कि सन 1909 में सरदार म्हणा सिंह ने इसी हाल गेट के बाहर सरकार द्वारा इस जगह की खुली बोली लगाई थी। बोली 6 हजार रूपए से शुरू हुई थी और बढ़ते बढ़ते 23 हजार तक पहुंच गई थी।म्हणा सिंह ने इस खुली बोली में इस सिनेमा हॉल की जगह को खरीदा। उस समय पंजाब में कोई भी सिनेमाघर नहीं होता था। 

                यह पंजाब का सबसे पहला सिनेमाघर बना। तो शुरू हो गया म्हणा  सिंह द्वारा सिनेमा हॉल बनाने का कार्य। जो कि 1909 में शुरू हुआ था। इसको बनाते बनाते 6 वर्ष लग गए। आखिरकार सं 1915 में यह जाकर मुकम्मल हुआ। सिनेमा हॉल की नींव थी वह 20 फुट गहरी खोदी  गई और इसके ऊपर 6 फुट चौड़ी दिवार नीचे से ही खड़ी की गई थी। इस सिनेमा को बनाने के लिए जो ईटों का इस्तेमाल किया गया वह म्हणा सिंह  के अपने ही भट्ठे से लाई गई थी  जिनके ऊपर आज भी एमएस यानी के म्हणा सिंह लिखा हुआ है। सिनेमा हॉल की स्क्रीन की बात करें तो यहां पर एक इस तरह स्टेज बनाया गया था कि नाटक कंपनियां वहां ड्रामा खेलती थी और फिल्म का भी प्रबंध किया गया था।  साथ में एक बड़ी स्टेज बनाई हुई थी। इस सिनेमा हॉल में दर्शकों के बैठने के लिए लगभग 2000 सीटों का प्रबंध किया गया था। क्योंकि यहां नाटक ज्यादा होते थे तो कलाकारों के रहने का भी बंदोबस्त वही किया गया था। उनके लिए कमरे बनाए गए थे और एक आलीशान रेस्टोरेंट भी बनाया गया था। क्योंकि उस समय और कहीं भी सिनेमा हॉल नहीं होता था तो इस सिनेमा हॉल में दूर-दूर से लोग नाटक और सिनेमा देखने आते थे। यहां तक कि लाहौर से भी लोग अमृतसर सिनेमा देखने आते थे। सिनेमा का शो रात को 9 और 10 के बीच में शुरू होता था और सुबह 5:00 बजे तक यह चलता था। चित्र सिनेमा का पहला नाम क्रॉउन  सिनेमा होता था। इसका पूरा नाम म्हणा सिंह थीएट्रिकल हॉल होता था। उस जमाने में इसको म्हणा सिंह का मंडुआ कहकर भी लोग पुकारते थे।

           सिनेमा का उद्घाटन 15 जून सन 1915 को उस समय के जिले के डिप्टी कमिश्नर मिस्टर सीएम किंग ने किया बताते हैं।यह event उस समय ऐतिहासिक (historical events )होने वाला था।  उद्घाटन के समय पूरी इमारत की सजावट को आलीशान तरीके से सजाया गया था। दो हजार के करीब रोशनी के बल्ब  लगाए गए थे। मजेदार बात यह है कि उस समय अमृतसर में बिजली नहीं होती थी इसीलिए बाहरी रौशनी और प्रोजेक्टर को चलाने के लिए स्टीम इंजन लगाए गए थे। इसका उद्घाटन भी कुछ खास तरीके से किया गया था। मिस्टर किंग ने सोने की बनी हुई चाबी के साथ सिनेमा हॉल का मेन दरवाजा था उसको खोल कर उद्घाटन किया था। महाना सिंह ने उस समय सिनेमा हॉल के ऊपर यूनियन जैक (झंडा) लगाने की भी मंजूरी ली थी। यह ऐतिहासिक सिनेमा उस समय अमृतसर की सबसे पहली निजी इमारत थी। क्योंकि उस समय बोलती फिल्में नहीं होती थी तो दर्शकों को स्क्रीन पर साइलेंट फिल्में दिखाई जाती थी। साथ ही स्टेज के एक तरफ ऑर्केस्ट्रा होता था और वह लोग संगीत बजाते थे।  चित्रा सिनेमा हॉल के लिए उस समय मिस्टर लुईस जोकि एक विदेशी थे।  उनको मैनेजर के तौर पर रखा गया था। आजकल इस सिनेमा हॉल में फिल्में दिखाई नहीं जाती एक खंडहर बन चुका है। पता चला कि हाल ही में इस बिल्डिंग को किसी ने खरीद लिया है। 

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