usha Timothy,Film ` Himalya Ki God Mein`का गीत `तू रात खड़ी थी छत पे' रफ़ी साहब के साथ गया था SINGER USHA TIMOTHY


जानीमानी वेटरन SINGER USHA TIMOTHY संगीत की दुनिया में अपनी आवाज़ और ख़ास अन्दाज़ के लिए मशहूर हैं। 
मात्र 13 वर्ष की उम्र में  Film Himalya Ki God Mein का गीत `तू रात खड़ी थी छत पे' रफ़ी साहब के साथ गया था 
 

वाईपीएस चौहान
इस लॉकडाउन के समय सभी नए कलाकारों के बारे सभी मिडिया वाले लिख और दिखा रहे है। पुराने कलाकारों के बारे किसी ने भी नहीं कुछ बताया की वह आज कल क्या कर रहे है.इसी को लेकर हम ने उषा तिमोथी जी से उन के बारे और उनके संगीत के सफर के बारे फोन पर बहुत सी बातें हुई। जिन के कुछ अंश आप के लिए लेकर आए है।
    जानीमानी वेटरन SINGER USHA TIMOTHY संगीत की दुनिया में अपनी आवाज़ और ख़ास अन्दाज़ के लिए मशहूर हैं। वो अब तक हिंदी समेत विभिन्न भाषाओं में 5 हजार से भी ज़्यादा गाने गा चुकी हैं। 
 लॉकडाउन के दौरान उषा तिमोथी जी आजकल बच्चों को ऑनलाइन संगीत की शिक्षा दे रही हैं। उनका मानना है कि मैं अपने जीवन में कोई ऐसा गायक तैयार कर दूं जो आने वाले समय में उसका बहुत बड़ा नाम हो।  उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि देश विदेश से उनको बहुत सारे उभरते हुए गायकों के फोन कॉल्स भी आते रहते हैं और वह इनको टिप्स भी देती रहती हैं। 
              महाराष्ट्र के नागपुर में जन्मी उषा तिमोथी  संगीत से जुड़े हुए परिवार से सम्बन्ध रखती हैं। वह बताती हैं कि नागपुर में उनके परिवार का बहुत बड़ा नाम है।  जिस तरह मुंबई में मंगेशकर परिवार है उसी तरह नागपुर में तिमोथी परिवार को लोग मानते हैं क्योंकि पूरा परिवार संगीत से जुड़ा हुआ था।  माताजी बड़े भाई सभी संगीत के उस्ताद रहे। वह बताती हैं कि उन्होंने जब से होश संभाला तभी से संगीत के साथ वह जुड़ गई थी।  तालीम की बात करें तो उषा जी ने सबसे पहले अपने बड़े भाई मधुसूदन तिमोथी जी से शिक्षा ग्रहण की। लोग तो उनको संगीत की डिक्शनरी कहते थे।  उसके बाद पंडित लक्ष्मी प्रसाद जयपुर वालों से शिक्षा ग्रहण की।  सबसे आखरी और हमेशा रहे मेरे गुरु मोहम्मद रफी साहब थे।मैंने उनको पिता का दर्जा दिया हुआ था और उन्होंने भी मुझे बेटी की तरह रखा हुआ था। 
 जब भी कार्यक्रम के सम्बन्ध में देश या विदेश में जाने का मौका मिलता तो रफ़ी साहब हमेशा मेरे को अपनी गाड़ी में ही बिठाते थे। वह अगली सीट पर बैठते थे और मैं पिछली सीट पर उनकी पत्नी के साथ पिछली सीट पर बैठती थी। हम जिस होटल में भी रुकते थे तो मेरे लिए हमेशा रफ़ी साहब के बगल वाला रूम बुक होता था। वह मुझ को कभी भी किसी से नहीं मिलने देते थे। न ही कभी किसी के साथ जाने देते थे। पिता का अहसास ही नहीं होता था। 
सबसे पहला गीत आपने कब गया

रफी साहब के साथ मन्ना डे,हेमंत कुमार और मुकेश जी यह चारो लोग कल्याणजी-आनंदजी के साथ नागपुर आए हुए थे। हुआ यूं कि इनके साथ कोई फीमेल सिंगर नहीं आई हुई थी। शायद सुमन कल्याणपुर जी ने आना था लेकिन वह नहीं आ पाई।  कल्याण जी भाई ने मेरे बड़े भाई मधुसूदन को बोला कि ऑडिशन करके एक फीमेल सिंगर की तलाश कर दीजिए जो कि फिल्मी गीत गाती हो।  पूरा दिन ऑडिशन चलता रहा लेकिन कल्याण जी भाई को कोई भी ऐसे फीमेल सिंगर नहीं दिखाई दी कि जो स्टेज के ऊपर फ़िल्मी गीत गा सके। आखिर में मेरे बड़े भाई ने उनको कहा कि मेरी एक छोटी बहन है वह फिल्मी गाने बहुत अच्छी तरह से गाती है वह गाएगी। उन्होंने पूछा कि वह कितने साल की है तो मधुसूदन ने कहा कि वह 7 वर्ष की है। उन्होंने कहा कि यह बच्चों का खेल नहीं है। रिजेक्ट कर दिया। उषा जी बताती हैं कि उनके दूसरे भाई रत्नाकर तिमोथी उन्होंने हिम्मत दिखाई।वह मुझे लेकर शो में चले गए। जो शख्स साउंड को ऑपरेट कर रहे थे वह उनके भाई के जानकार थे तो उन्होंने बोला कि जब शो का इंटरवल होगा तो पर्दा बंद होगा तो उषा जी अपनी परफार्मेंस देंगी।इंटरवल में उषा जी ने गाना गाया। सभी ने वह गीत पसंद किया। जोर दार तालियों से हाल गूँज गया। वहां का माहौल बदल गया। सभी लोग आ गए मेरे पास। रफी साहब और मुकेश जी आ गए। रफ़ी साहब ने पूछा  कि सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था यह गीत गए लोगी, मुकेश जी ने पूछा यह वादा करो चांद के सामने क्या आपको यह गाना आता है। मन्ना दा साहब ने भी पूछा कि आपको गाने सब आते हैं। फिर कहा कि गाकर सुनाओ। स्टेज के ऊपर पहला गाना रसिक बलमा गया। उसके बाद रफी साहब के साथ स्टेज के ऊपर मैंने अपनी जिंदगी का पहला ड्युट रफ़ी साहब के  साथ गाया। रफी साहब ने मेरे परिवार को बोला कि आप मुंबई क्यों नहीं आते, वहां आइए. मुकेश जी और रफी साहब के साथ उषा जी बताती हैं कि वह जब 7 साल की थी तभी से कार्यक्रम में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। 
ऐसे मिला सबसे पहली फिल्म में गाने का मौका
1965 में फिल्म आई थी `हिमालय की गोद में ' थी। लेकिन उससे पहले पंडित शिवराम जी जो मेरे गुरु भी थे उन्होंने माइथोलॉजी फिल्म दुर्गा पूजा में उसमें मेरी आवाज ली थी। फिल्म में 64 संस्कृत के श्लोक थे जो मैंने गए थे।  पहली बार ही मैं माइक पर गाने के लिए गई थी और बिना किसी कट के वह मैंने श्लोक गए थे। से लोग गाय 13 साल की उम्र में फिल्म हिमालय की गोद का गीत उषा तिमोथी जी ने गाया और वह छठी कक्षा में पढ़ती थी। हुआ यूं कि कल्याण जी भाई के छोटे भाई बबला जी सुबह-सुबह हमारे घर आए तो उन्होंने कहा कि आपको कल्याण जी भाई बुला रहे हैं। उन्होंने कहा की दो बजे  रिकॉर्डिंग है। 2 बजे के करीब कल्याण जी भाई के घर गए और रिहर्सल हुई और उन्होंने कहा कि आपकी आज गाने की रिकॉर्डिंग है वह भी रफी साहब के साथ और उन्होंने मेरे को कहा कि रफी साहब शेर है मेरे को कोई घबराहट नहीं हुई।  क्योंकि मैं रफी साहब के कार्यक्रमों में जाती रहती थी।  लेकिन जब मैं माइक पर गाने के लिए आई तो रफी साहब ने मेरे सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया कि तुम बहुत अच्छा गाओगी  मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है आज भी वह पल मुझे याद है और मैं जब भी कभी मुश्किल समय से गुजरती हूं तो मैं उनका स्पर्श महसूस करती हूं और मेरे को बहुत ज्यादा हौसला मिलता है। 
   फिल्म हिमालय की गोद का गीत सुपरहिट हो गया था और विविध भारती रेडियो पर रोज यह गीत बजता था और जब भी यह गीत बजता था तो जो विविध भारती के अनाउंसर होते थे तो वह यही कहते थे कि यह गीत मोहम्मद रफ़ी-आशा भोंसले और उनके साथियों द्वारा गाया गया है। तो उषा जी बताती है कि मेरे को बड़ा फील हुआ कि गाना तो मैंने गाया है लेकिन नाम आशा भोसले जी का आ रहा है। तो एक दिन फिर मैं विविध भारती के रेडियो स्टेशन में पहुंच गई तो वहां उनसे मेरी मुलाकात हुई। तो मैंने उनको कहा कि क्या आप जो रिकॉर्ड बजा रहे हो उनके ऊपर सिंगर का नाम नहीं देखते।यह गाना किसने गाया है तो उन्होंने जब देखा रिकॉर्ड के दोनों तरफ मेरा नाम लिखा हुआ था तो उनको काफी महसूस हुआ। तो उन्होंने कहा कि हमें तो यही लगा कि क्योंकि रूटीन में मंगेशकर परिवार से ही कोई ना कोई फीमेल सिंगर होगी तो हम आंख मूंदकर ही आशा भोंसले का नाम अनाउंस किए जा रहे थे।  तो उन्होंने आगे से जब भी यह गीत रेडिओ पर बजता तो मोहम्मद रफ़ी और उषा तिमोथी का नाम ही अनाउंस होता था। 
 
कैसे मिला फिल्म `कहानी किस्मत की'गीत में डायलॉग बोलने का मौका

 उषा तिमोथी जी बताती हैं की वह एक बार मार्केट में शॉपिंग करने गई हुई थी तो अचानक शोरूम के बाहर कल्याण जी भाई मिल गए क्योंकि स्टूडियो भी बिल्कुल साथ ही में था तो उन्होंने कहा कि उषा तुम जल्दी से स्टूडियो आ जाओ फिल्म कहानी किस्मत की का गीत किशोर कुमार जी रिकॉर्ड कर रहे हैं बीच में रेखा के डायलॉग हैं लेकिन वह अभी तक पहुंची नहीं है तो आप वह डायलॉग गाने में बोल देना। तो उषा जी बताती हैं कि मैं साथ ही में स्टूडियो था वहां पर गई और किशोर कुमार साहब ने गाना `रफ्ता रफ्ता देखो आंख मेरी लड़ी है ' गीत गाया और उस गीत में जो डायलॉग थे `मैंने ऐसा तो नहीं कहा था "इतनी बखूबी से बोले की जब यह फिल्म रिलीज हुई और गाना सुपरहिट हो गया तो लोगों को यह नहीं पता चला कि यह डायलॉग उषा टिमोथी ने बोलें है। अभी भी बहुत से लोगोग एहि समाज रहे है की इस गीत में किशोर कुमार साहब के साथ रेखा जी की आवाज थी। 
   उषा जी बताती हैं कि 1965 के बाद रफी साहब काम में इतने बिजी हो गए थे कि उनको फिल्में देखने का समय ही नहीं मिलता था और वह धर्मेंद्र तक के ही कलाकारों को जानते थे। एक बार की बात है की बेंगलुरु एयरपोर्ट पर हम लोग खड़े थे तो रफी साहब ने मुझे कहा कि ऊंचा वह देखो कितना हैंडसम लड़का है। इसको तो फिल्मों में हीरो होना चाहिए था। मैंने तुरंत कहां साहब यह तो है ही फिल्मों का हीरो। इसका नाम नवीन निश्चल है। तो साहब बोले कि क्या मैंने कभी इसके लिए कोई गीत गाया है तो उषा जी बताती है कि मैंने साहब को झट से बोला क्यों नहीं आपने तो इसके लिए कई गीत गाए हैं और वह गीत हिट भी हुए हैं तो ऐसे थे रफी साहब। 
  
ऊषा तिमोथी ने इन फिल्मों में गीत गाए 

दुर्गा पूजा, बिरजू उस्ताद,महारानी पद्मिनी,चार चक्रम, हिमालय की गोद में, सती नारी, सुनहरे कदम, वीर बजरंग, विद्यार्थी, जोहर  इन मुंबई, मेरा मुन्ना, रामराज्य, तकदीर,फरेब। हर हर गंगे, परिवार,अपना खून अपना दुश्मन, महुआ, नतीजा, रात के अंधेरे में, विश्वास, गुनाहों के रिश्ते,हीर रांझा, ट्रक ड्राइवर, कनका दे ओहले, एक दिन आधी रात, जौहर महमूद इन हांगकांग, लड़की पसंद है, श्री कृष्ण लीला, कांच और हीरा, चट्टान सिंह, हमराही, आजा सनम, अनोखा, दो ठग, जान हाजिर है, उलझन,जोरो, फरिश्ता या कातील,अतिथि,बेशर्म, कल सुबह,नसबंदी,खंजर, मेरा सलाम, प्यार के राही, प्यार बड़ा नादान, रहम,दिलजला, सोने का पिंजरा, 7 लड़कियां, आखरी चेतावनी,परदेसी और बहुत सारी अन्य भाषाओं में भी उन्होंने गीत गए हैं। 

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