सचिन जैन 2 मार्च को गृहस्थ जीवन का त्याग कर हमेशा के लिए वैराग्य अपना लिया डेराबस्सी के इतिहास

 सचिन जैन 2 मार्च को गृहस्थ जीवन का त्याग कर हमेशा के लिए वैराग्य अपना लिया

डेराबस्सी के इतिहास में पहली बार हुए जैन भगवती दीक्षा समारोह




18 वर्षीय सचिन जैन 2 मार्च को गृहस्थ जीवन का त्याग कर हमेशा के लिए वैराग्य अपना लिया। उन्होंने गुरुदेव उपाध्याय जितेंद्र मुनि महाराज से आचार्य आत्मा राम जैन मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कई संत महाप्रशिक्षकों की उपस्थिति में 'जैन भगवती दर्शन' यानी जैन दीक्षा प्राप्त की। सचिन के बाल काटकर जैन लुक में दीक्षा का पाठ पढ़ाकर नाम बदला गया। 

डेराबस्सी के इतिहास में



पहली बार हुए जैन भगवती दीक्षा समारोह में देश के कोने-कोने से 15 से अधिक श्रावक श्राविका की उपस्थिति में दीक्षा सम्पन्न हुई।  जगदीश मुनि जी ने कहा कि दीक्षा जीवन को दिशा देती है। दीक्षा आत्मशुद्धि की एक प्रक्रिया है, दीक्षा का अर्थ होता है संसार की असारता का ज्ञान हो जाना। इसलिए आज से दीक्षा लेने वाला मन, वचन और काया से पूरी तरह धर्म को समर्पित हो गया। 




इससे पहले सचिन के लिए केसरिया तिलक समारोह के अलावा उन्हें साथ लेकर शोभायात्रा भी निकाली गई। बैरागी सचिन की दीक्षा से पहले बुधवार को जैन साधुओं और साध्वियों की मौजूदगी में मेहंदी की रस्म अदा की गई। मेहंदी की रस्म वैराग सचिन के दादा दुर्गा दास जैन, दादी श्रीमती कलावंती जैन, माता श्रीमती आरती जैन सहित अन्य करीबी रिश्तेदारों ने की। सचिन जैन मूल रूप से गांव हंसपुर, जिला फतेहाबाद, हरियाणा के रहने वाले हैं और वह पी.यू. से 'प्राक शास्त्री' प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने 25 बोल, नव तत्व, परक्रमण, दश्वाकालिक और सूत्र-4 का धार्मिक अध्ययन किया है। इस समारोह के गुरुदेव मुनि श्री जितेंद्र मुनि जी महाराज, गुरुदेव डॉ. सुव्रत मुनि जी महाराज, महासाध्वी सुधा जी महाराज सहित कई जैन साधुओं और जैन साध्वियों ने अपने प्रवचनों और भजनों से भक्तों का मन मोह लिया।








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