पंजाब के काहमा गांव के रहने वाले थे II हुसन लाल भगत राम II बॉलीवुड की पहली संगीतकार जोड़ी 

हुसन लाल भगत राम बॉलिवुड की पहली संगीत जोड़ी


 


इस संगीत और कला की दुनिया में आपका एक बार फिर से स्वागत है जैसा की कला की दुनिया को खुदा की सबसे बेहतरीन देन कहा गया है संगीत से इंसान की मन की भावनाओं की उड़ान भरने में भी मौका मिलता है उस का मजा ही कुछ और होता है जब किसी भी गाने की धुन हमारे कानों से आगे टकराती है तो एक अलग से ही नजारा होता है जिसको हम कभी बयां ही नहीं कर पातेl हिंदी सिनेमा को गीत संगीत से हम लोग अलग नहीं कर सकते यह आपस में जुड़ा हुआ है अगर सिनेमा है तो उसके साथ संगीत भी बंधा हुआ है ना जाने कितनी हजारों गीत अब तक इस हिंदी सिनेमा में बने हैं और कितने ही मौकों पर यह गीत हमारे कानों में रस घोल ते हैl देखने में यह आया है कि गीत संगीत से ही फिल्म यहां सिनेमा की पहचान होती है और इसी गीत-संगीत से ही सिनेमा की पापुलैरिटी होती हैl नौटंकी की परंपरा से लेकर अब तक सिनेमा और गीत संगीत को संजो कर रखा गया है चाहे फिल्में और गीत-संगीत तकनीकी रूप से कितना भी आगे बढ़ गया हो लेकिन संगीत का आपस में रिश्ता वैसे का वैसा ही बना हुआ है।
   बॉलीवुड के इतिहास की बात करें तो अभी तक बहुत सी संगीत जोड़ियां बनी है हिंदी संगीत जगत को। बहुत सारे सुपरहिट गीत दिए हैं शंकर जयकिशन, कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और  नदीम श्रावण जो भारतीय फिल्म जगत में महान संगीतकारों में गिने जाते हैं। बॉलीवुड की सबसे पहली संगीतकार जोड़ी हुसन लाल भगत राम जिन्होंने अपनी धुनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था और आज भी उनके संगीत से बने गीत उसी तरह से सुने जाते हैं जैसे आज से 70 वर्ष पहले सुने जाते थे। लेकिन समय का चक्र ऐसा चला कि यह दोनों लोग गुमनामी के अंधेरे में खो गए। 
   
हुसन लाल भगत राम दोनों सगे भाई थे। इनका जन्म शहीद भगत सिंह नगर,पंजाब के काहमा  गांव में हुआ था। 1920 में हुसन लाल जी का जन्म इसी गांव में हुआ था। बचपन से ही इन दोनों को संगीत सीखने का बहुत शौक था। उनके पिता देवी चंद और बड़े भाई पंडित अमरनाथ जी 40 के दशक के संगीतकार थेl हुसन लाल वाइलन में माहिर थे जबकि भगतराम हारमोनियम बजाने में रुचि रखते थे। हुसन लाल भगत राम ने अपने संगीत की शुरुआती शिक्षा अपने भाई पंडित अमरनाथ से ही हासिल की थी। उन्होंने इसके अलावा पंडित दिलीप चंद बेदी से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण की थी। उसके बाद हुसन लाल जी ने उस्ताद बशीर खान जी से वायलिन बजाना सीखा था। हुसन लाल जी खयाल, दादरा, ठुमरी और भजन गायकी में बेहतरीन गायक थे। दोनों भाई अपने बड़े भाई पंडित अमरनाथ जी के साथ असिस्टेंट के रूप में काम करते थे।  बात सन बात 1944 की है जब डीडी कश्यप फिल्म चांद बना रहे थे। उन्होंने पंडित अमरनाथ जी को फिल्म का संगीत देने के लिए कहा, अमरनाथ जी ने कहा कि मेरे पास वैसे ही बहुत काम है आप मेरे छोटे भाई हुसन लाल को ले जाइए,मामला फिट हो गया और कॉन्ट्रैक्ट साइन हो गया। जब मुंबई जाने की बारी आई तो पंडित अमरनाथ ने कहा कि मैं अकेले नहीं अपने भाई को मुंबई भेजूंगा आप मेरे छोटे भाई भगत राम को भी साथ ले जाइए। वह भी संगीत का अच्छा जानकार है आपका काम कर देंगे।डीडी कश्यप ने कहा कि ऐसे तो मुमकिन नहीं है क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट तो एक के साथ ही हुआ है। अमरनाथ जी ने डीडी कश्यप को कहा कोई बात नहीं आप एक कॉन्ट्रैक्ट में ही दोनों को साथ में ले जाइए।इस तरह हिंदी फिल्म जगत में संगीत की पहली जोड़ी बन गई हुसन लाल भगत राम। फिल्म चांद में संगीत दिया फिल्म कोई ज्यादा नहीं चलीl हुसन लाल भगत राम ने अपने संगीत में पहली बार पंजाबी धुनों  का इस्तेमाल करना शुरू किया वह इसमें सफल रहे। 19 48 में फिल्म प्यार की जीत में उनका रफी साहब का गीत `एक दिल के टुकड़े हजार हुए कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा 'सुपर डुपर हिट हो गया।
         कहा जाता है कि मोहम्मद रफी साहब को आगे ले जाने में हुसन लाल भगत राम का काफी योगदान रहा है.1940 के दशक में के अंतिम वर्षों में जब रफी साहब बतौर  गायक अपनी पहचान बनाने में लगे हुए थे तभी उन्हें काम नहीं मिलता था। तब उन्हें हुसन लाल भगत राम की जोड़ी ने उन्हें एक गैर फिल्मी गीत गाने का मौका दिया था। वर्ष 1948 में जब महात्मा गांधी की हत्या के बाद मोहम्मद रफी साहब को राजेंद्र कृष्ण द्वारा लिखा गीत `सुनो सुनो ए दुनिया वालों बापू की यह अमर कहानी 'गाने का अवसर दिया। यह गीत जबरदस्त हिट हुआl यह गीत अपने आप में एक मील का पत्थर साबित हुआ। चले जाना नहीं नैन मिला के। चुप -चुप
 खड़े हो जरूर कोई बात है। वोह पास रहे या दूर रहे नज़रों में समाये रहते है।लिखने वाले ने लिख दी मेरी तक़दीर में बर्बादी। फिल्म बड़ी बहन (1949) के सुपर हिट गीत आज भी वैसे ही सुने जाते है।
          हुसन लाल भगत राम की जोड़ी ने उस समय के दिग्गज गायक जिनमें जीनत बेगम, शमशाद बेगम, सुरैया, अमीरबाई कर्नाटकी, जोहरा बाई अंबाले वाली, गीता दत्त, लता मंगेशकर, आशा भोंसले और सुमन कल्याणपुर की आवाजों को संगीत दिया। उन्होंने पंजाबी गायिका सुरिंदर कौर के साथ भी काम करने का मौका मिला। साथ ही में जीएम दुर्रानी, मोहम्मद रफी, तलत महमूद, मुकेश, मन्ना डे,मोहिंदर कपूरऔर किशोर कुमार जैसे गायकों को भी अपनी संगीत की धुनों से गीत गवाए।
            हुसन लाल भगत राम के निर्देशन में यह फिल्में आई थी रोमियो एंड जूलियट, शेर अफगान, टार्जन एंड सर्कस, शहीद भगत सिंह, अप्सरा, दुश्मन, मिस्टर चक्रम, आन बान, शमा परवाना,आँसू,  फरमाइश, राजा हरिश्चंद्र, काफिला, सनम, शगुन, अफसाना, स्टेज, छोटी भाभी, सूरजमुखी, अपनी छाया, प्यार की मंजिल, गौना, बिरहा की रात, सरताज, मीना बाजार, हमारी मंजिल, बलम, राखी, अमर कहानी, जलतरंग, बांसरिआ, सावन भादो, बड़ी बहन, नाच, प्यार की जीत, आज की रात, लखपति, हीरा, नरगिस, हम एक हैं, चांद अदि
     पंजाबी फिल्म शाहजी जो कि सन 1954 में रिलीज हुई थी। उसका संगीत भी हुसन लाल भगत राम ने ही दिया था।  जिसमें लता मंगेशकर ने भी गीत गया था।  फिल्म के गीत और फिल्म दोनों ही उस जमाने में काफी हिट हुई थी। उसके बाद सन् 1964 में  राजकुमार कोहली द्वारा निर्मित फिल्म `मैं जट्टी पंजाब दी ' में  भी हुसन लाल भगत राम ने संगीत दिया था। फिल्म के मुख्य कलाकार प्रेमनाथ, निशी, जीवन, मदन पुरी,खरैती भैंगा,अचला सचदेव और मनमोहन कृष्ण थे।बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म हिट रही थी। उसके बाद प्रड्यूसर अब्दुल गफूर खेत्री वाल द्वारा निर्मित पंजाबी फिल्म् `सपनी'  सन 1965 में रिलीज हुई थी का म्यूजिक भी हुसन लाल भगत राम ने दिया था। हुसन लाल भगत राम ने कमर जलालाबादी के साथ उनके गीतों की धुनें  खूब अच्छे तरीके से बनाई। फिल्म चांद से लेकर शहीद भगत सिंह तक लगभग 160 के करीब गाने कंपोज किए और 24 फिल्मों में संगीत दिया। इनके अलावा मशहूर गीतकार आरजू लखनवी, राजेंद्र कृष्ण, जे नक्शब,सरसार सैलानी, मुल्ख राज भाखडी और मजरूह सुल्तानपुरी जैसे दिग्गज गीतकारों के साथ भी काम करने का मौका मिला।
     धीरे -धीरे पाश्चात्य संगीत का रंग निर्देशकों के ऊपर चढ़ने लग गया और वह धीरे-धीरे हुसन लाल भगत राम से किनारा करने लग गए। उसके बाद हुसन लाल मुंबई छोड़कर दिल्ली आ गए और आकाशवाणी में काम करने लग गए। भगतराम मुंबई में ही रहकर छोटे-मोटे स्टेज कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे जहां पर वह वाइलन बजाया करते थे।  अपनी यादगार मधुर धुनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले हुसन लाल 1968 को इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए और 1973 को भगत राम जी भी इस दुनिया से चले गए। बड़े ही दुख की बात है कि यह दोनों महान संगीतकार अपने मौत के समय गुमनामी के जिंदगी के अंधेरों में रहे। हुसन लाल जी का परिवार आजकल दिल्ली में रहता है और भगत राम जी के बेटे अशोक शर्मा दूरदर्शन के जाने-माने सितार वादक हैं और परिवार के साथ मुंबई में रहते हैं।
     
      

 

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने