भोजपुरी सिनेमा का नया सुपर स्टार II सूरज सम्राट II ARDHANGINI के बाद फिल्मों की लगी लाईन

 

भोजपुरी सिनेमा का नया सुपर स्टार II सूरज सम्राट II ARDHANGINI के बाद फिल्मों की लगी लाईन


 
 हरीश कौशल
हर व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है और बहुत बड़ा इंसान बनना चाहता है लेकिन उसके लिए कठिन मेहनत करनी पड़ती है साथ ही धैर्य भी रखना पड़ता है।  पागलपन तक मेहनत करनी पड़ती है फिर कहीं जाकर उसका जब फल मिलता है तो उसका स्वाद ही कुछ और होता है। ख़ास कर फ़िल्मी दुनिया में कामयाब होना बहुत ही कठिन कार्य है। लेकिन जब एक बार आप कामयाब हो जाओ तो फिर सफलता आप के पीछे होती है। हम आज बात कर रहे है भोजपुरी कलाकार सूरज सम्राट (suraj samrat )की। जिन को एक बेहतरीन सुपर स्टार बनना था। इसी धुन को लेकर बचपन से ही उन्होंने थाम लिया था की एक बड़ा फिल्म स्टार बनना है। अपनी मेहनत और लगन से वह कामयाबी के रास्ते पर चल रहे है। सूरज सम्राट से विशेष बातचीत हुई।
   
               आपके परिवार की बात करें तो आपके परिवार में कौन-कौन हैं ? सूरज सम्राट ने कहा कि मेरे परिवार में मेरे दादा जी, दादी जी, पापा, मम्मी, चार बहने मेरी भी शादी हो चुकी है। मेरी पत्नी के अलावा मेरा एक बेटा है और एक बेटी है। मैं बहुरा डिस्ट्रिक्ट, मोहनिया प्रखंड के अंदर गांव महरो के रहने वाले हैं। पढ़ाई की शुरूआत वहीं से हुई थी।  डिस्ट्रिक्ट में आकर बाकी सारी पढ़ाई में करता था। ग्रेजुएशन भी होमटाउन से ही किया। वहीं से मैं नाटक सीखता रहा हूं। अब जब मैं फिल्मों में काम करने लग गया हूं तो मुंबई आ कर मेरे को इस चीज का बहुत फायदा हुआ.जब आप कैमरे के सामने प्रेजेंटेशन देते हो तो आपको किसी भी तरह की मुश्किल नहीं होती। क्योंकि कैमरे के सामने आप पहले से ही एक मजबूत कलाकार के रूप में प्रस्तुत हो चुके होते हो। मेरे हिसाब से जो भी शख्स फिल्म में काम करना चाहता है उसको नाटक जरूर करनी चाहिए। यह एक बहुत बड़ी पाठशाला है। शूटिंग में तो आपके रीटेक होते रहते हैं लेकिन जब आप नाटक करते हो तो स्टेज के ऊपर वहां पर सीधा जो संवाद होता है वह सामने पब्लिक के साथ ही होता है वहां पर रीटेक नहीं होता।  इसलिए थिएटर करने से आपके कला को बहुत ज्यादा निखार मिलता है और पब्लिक के सामने ही आपको उसी समय रिजल्ट देना होता है.उसमें कोई भी समझौता नहीं होता और ना ही आपको दोबारा करने के लिए मौका मिलेगा।

    मुझे कुछ भी समझ में नहीं था जब मैं 26 नवंबर 2008 को मुंबई निकल गया था। मैं मुंबई उसी दिन उतरा था जिस दिन 26/11 की घटना हुई थी। चारों तरफ मुंबई बंद हो रहा था और मैं उस दिन मुंबई उतरा था.मुझे मुंबई के बारे में कुछ नहीं पता था कि यह कौन सा एरिया है कहां जाना है। मैं अपने एक मित्र जो भिवंडी में रहता था उसके पास चला गया। मैंने सोचा कि वह मुंबई में ही है लेकिन वहां जाकर पता लगा कि वह मुंबई से काफी दूर है। मुझे बिल्कुल भी अनुमान नहीं था कि मुझे इतनी दूर आकर अपने मित्र के पास रहना पड़ेगा। उस दिन मुझे नहीं पता था कि मुंबई की स्थिति इतनी भयावह होगी। मेरा मित्र भी मुझे जब रिसीव करने आया तो भागम भाग ही चल रही थी और एक हफ्ता तो बिल्कुल पता ही नहीं लगा कि क्या हो रहा है। मुझे वहां जाकर पता लगा कि जिस जगह वह मेरा मित्र रहता है और उनके साथ में रह रहा हूं वहां तो कोई भी फिल्म लाइन से संबंधित कुछ भी नहीं है। मैं लगभग 6 महीने अपने मित्र के पास रहा और वहीं से ही मैं अंधेरी के लिए आता था। वहां भी उस समय कोई बात जमी नहीं और ना ही मेरे को कोई ज्यादा समझ में आया। मैंने अपना मन वापस जाने के लिए बना लिया था और दोबारा पढ़ाई करने के लिए वापस अपने घर आ गया। मैंने ग्रेजुएशन में एडमिशन ले लिया लेकिन दिमाग में एक बार फिर फिल्मों में काम करने के लिए खलबली मचनी शुरू हो गई। मैं फिर मुंबई चला आया और मैंने वहां एक्टिंग के लिए एक एकेडमी को ज्वाइन किया। जिस का नाम  एमएम इंस्टीट्यूट मुंबई अकैडमी है। ज्वाइन करने के बाद वहां मैंने जो ट्रेनिंग प्राप्त की 3 महीने का टाइम था। उसमें एक्टिंग की बारीकियां सीखी। उसके बाद समझ में आया कि अभिनय के क्षेत्र में एक लंबा समय और स्ट्रगल के बाद सफलता मिलती है। 2013 में जब मुंबई गया था तो मुझे एक सीरियल मैं काम करने का मौका मिल गया जिससे कि वहां रहने और खाने-पीने का सारा खर्चा इन सीरियल्स में काम करने की वजह से निकलने लगा। जो कि मुंबई में रहने के लिए मुझे प्रेरणा स्रोत मिला।
   
                   आप की शुरुआत कैसे हुई ? सूरज सम्राट ने बताया की जैसा कि हम भोजपुरी माटी से हैं बचपन से ही एक जुनून था कुछ करने का। गांव में नाटक खेलते हुए स्कूल में ड्रामा खेलते हुए एक जुनून सा चडा हुआ था कुछ करने का। बचपन में फिल्में देखने का बहुत शौक था। शौंक  धीरे-धीरे पैशन में बदलता चला गया। फिर मुझे लगा कि मैं इसी फील्ड में जा सकता हूं। सन 2008 और 9 से मैंने इस फील्ड के लिए स्ट्रगल करना शुरू कर दिया। जब मैंने इंटरमीडिएट में एडमिशन लिया था तो वह मेरा स्ट्रगल का ही एक दौर की शुरुआत थी.इसके बारे में जानकारी नहीं थी कि क्या करना है और कहां जाना है.मुंबई के लिए ही निकल गया।  घर से मुंबई का सफर और मुंबई से फिर वापसी घर का सफर बहुत ही पीड़ादायक रहा। भोजपुरी में जैसा कि आपको पता है कि अगर तो आप गायक हैं तो आपका  भोजपुरी सिनेमा में आना बड़ा आसान हो जाता है लेकिन मैंने बतौर एक आर्टिस्ट इस कैरियर को शुरू किया था लेकिन मुश्किल वहीं आ रही थी कि भोजपुरी सिनेमा में अगर आपने फिल्मों में काम करना है एक्टर बनना है तो आपको सिंगर बनना बहुत जरूरी है। फिर मैंने गायकी भी सीखनी शुरू की और सीखते सीखते कई गीतों के एल्बम भी निकाल दिए।  एक्टिंग का सन 2009 में मुंबई में मैंने विधिवत प्रशिक्षण भी लिया था.मुंबई की जानी-मानी एकेडमी से मैंने इसका प्रशिक्षण लिया था। सन 2013 से मुंबई में मैंने लगातार धारावाहिकों में काम करना शुरू कर दिया। उसमें क्या होता था कि 1 दिन का या 2 दिन का काम मिल जाता था जिससे कि मेरे वहां के खर्चे जो होते थे वह निकल जाते थे। धारावाहिकों में मैंने पलटन, अशोका,महाराणा प्रताप के साथ -साथ कई धारावाहिकों में काम किया। काम करते-करते मेरी एक्टिंग में भी काफी निखार आ गया। सीखने के तो मिला ही था साथ ही मेरा कॉन्फिडेंस भी बढ़ता गया। 2010 में मेरी शादी भी हो गई। इधर भी जिंदगी और उधर भी जिंदगी। एक बार तो ऐसा लगा कि सब कुछ छूट जाएगा मेरा। लेकिन कुछ पाना है मेरे को जिंदगी में। तो मैं मेहनत करता रहा और सन 2013 से लेकर 2016 तक में सीरियल्स में काम करता रहा। मुझे लगा कि मेरी मिट्टी मुझे खींच रही है और ऐसा महसूस होने लग गया कि यह मैं काम कब तक करता रहूंगा। मुझे तो भोजपुरी सिनेमा ही करना है मुझे तो मेरा ड्रीम पूरा करना है। सन 2016 और 17 में मैंने भोजपुरी सिनेमा की ओर ध्यान करना शुरू कर दिया। मैंने धीरे धीरे फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। मैंने फिर विनय जी के साथ एक फिल्म में काम किया। इसी तरह एक पकड़ बनती गई। फिर भी एक ड्रीम प्रोजेक्ट करना है दिमाग को एक तरफ ही फोकस कर दिया था मैंने। अपने फिल्म अर्धांगिनी  के निर्माता हैं बंटी,दिनेश और शशि जी उनसे डिस्कस किया कि अगर हम इस तरह से कोई प्रोजेक्ट करें तो एक कामयाब प्रोजेक्ट बन सकता है। क्योंकि भोजपुरी सिनेमा एक ही तरफ चल रहा है। फिल्मों की कहानियां एक जैसी ही होती है। अगर हम कुछ हटके मार्केट में देंगे तो हमारे सफलता के रास्ते बन सकते हैं। क्योंकि मैं जो काम करना चाहता था बिल्कुल हटके करना चाहता था। उनके साथ मेरी मीटिंग कामयाब रही। विनय जी की तरफ से भी काफी पॉजिटिव रिस्पांस मिला। वहां से मेरी जिंदगी को एक टर्निंग प्वाइंट मिला और फिर शुरू हुआ अर्धांगिनी का निर्माण। फिल्म जबरदस्त कामयाब रही। यह एक नारी प्रधान विषय पर आधारित फिल्म बनी है.प्यार और बलिदान की एक अद्भुत कहानी है फिल्म अर्धांगिनी।फिल्म में कैसे एक औरत के जीवन में आने वाले विभिन्न उतार-चढ़ाव त्याग और बलिदान करने वाली एक आदर्श नारी की बेहतरीन व नई कहानी है फिल्म अर्धांगिनी।
          अब मेरी जिंदगी में काफी बदलाव होना शुरू हो गया है.अर्धांगिनी के बाद मुझे फिल्म हत्यारा, राज वंदनी मिली। अभी हाल ही में एक और नई फिल्म का मुहूर्त हुआ है.अब धीरे-धीरे लगातार नई फिल्मों का सिलसिला मिलना शुरू हो गया ह।  स्ट्रगल तो पूरी जिंदगी भर चलता ही रहता है और हर इंसान कुछ ना कुछ सीखता ही रहता है। अब पहले से अच्छा महसूस हो रहा है। सूरज सम्राट बताते है की उनको अपनी कामयाबी के लिए अपनी परिवार और अपने  मित्रों का बहुत ज्यादा सहयोग रहा है। जिन्होंने फिल्म अर्धांगिनी को बनाने में मुझ पर विश्वास किया और मेरे ऊपर बहुत बड़ा रिस्क लिया।  फिल्म अर्धांगिनी से मैंने साबित कर दिया कि मैं कुछ भी कर सकता हूँ.दर्शकों ने इस फिल्म को बेहद पसंद किया और बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म सुपरहिट रही।
         मुझे एक बात बहुत खटकी की भोजपुरी (bhojpuri cinema ) में अगर आपने फिल्मों में एक्टिंग करनी है तो आपको सिंगर(singer) होना बहुत जरूरी है।  इन चीजों से मैं बहुत ज्यादा आहत हुआ हूं। जबकि सिंगर एक अलग प्लेटफार्म है और एक्टिंग एक अलग प्लेटफार्म है।इसी  बीच भोजपुरी सिनेमा वाले दर्शकों को उलझा ते रहे और वह सिंगर और एक एक्टर की अलग से पहचान बताने में कहीं पीछे रह गए हैं। भोजपुरी में तो अब जो गायक है वही नायक है। चाहे उसको कुछ आता जाता हो या ना हो। मैंने भी फिर गीत गाने शुरू कर दिए इसके लिए मैंने संगीत को सीखा भी। दो दर्जन से ज्यादा गीत मैंने रिकॉर्ड करवाए हैं और मार्केट में भी आए हैं। अभी हाल ही में उनकी फिल्म अर्धांगिनी यूट्यूब के ऊपर भी रिलीज की गई है। जहां पर फिल्म को जबरदस्त रिस्पांस मिला है।
          फिल्म अर्धांगिनी(ardhangini) मैं काम करने का मौका कैसे मिला इसके बारे में सूरज सम्राट ने बताया कि मैं जब मुंबई में था तो काम तो मैं सीरियस में कर ही रहा था। वनडे टुडे का काम मेरे को मिलता था। लेकिन वह मेरी मंजिल नहीं थी। उससे करने के लिए तो सारी जिंदगी ऐसे ही लग जाती लेकिन मैं भोजपुरी माटी से जुड़ा हुआ था और मेरे मन में यही था कि मैं कब भोजपुरी फिल्म में काम करूंगा।  विनय जी के साथ जब मैंने फिल्म अदालत में  एक किरदार किया था तो मुझे लगा कि मैं भोजपुरी में कुछ बड़ा ही करूंगा और मैं उसी के बारे में ही सोचता रहता। मैंने पहली बार विनय जी से अपना अनुभव साझा किया और अपने मन की बातें उनको बताएं।  हीरो बनने के लिए अब मेरे को समझ में आ चुका था कि या तो मेरे को अपने आपको खुद लांच करना पड़ेगा या इसके लिए मेरे को कोई  लांच करेगा।  2016- 17 के बाद प्लानिंग बनता चला गया। फिर एक डायरेक्टर ने मुझे एक फिल्म के लिए एक रोल के लिए सिलेक्ट कर लिया।  लोगों ने एक इंटरेस्ट दिखाया कि हम लोग मिलकर काम कर सकते हैं तो हम सब मिलकर मेकिंग कर सकते हैं। फिर क्या था सभी ने मिलकर मेहनत की और एक फिल्म बना डाली अर्धांगिनी जो कि एक हटके पारिवारिक फिल्म थी और दर्शकों ने खूब पसंद किया। अभी मुझे और भी फिल्में मिलनी शुरू हो गई हैं। मार्च में फिल्म `अभिन्दनी'(abhinandini) मिली है और उसके बाद और भी कई फिल्मों का काम शुरू होने जा रहा है। `सजन रे झूठ मत बोलो 'हाल ही में यह प्रोजेक्ट भी फाइनल हुआ है। अभी अच्छा लग रहा है कि हाथों में दो पैसे आ रहे हैं और काम मिलना शुरू हो गया है और नाम भी मार्केट में हो रहा है। सूरज सम्राट कहते है की मुझे भोजपुरी सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनानी है। भोजपुरी सिनेमा को मैं एक अलग दिशा में लेकर जाऊंगा जहां पर साफ-सुथरी और पारिवारिक फिल्में बने और भोजपुरी सिनेमा ऐसी ही पारिवारिक फिल्मों से जाना और पहचाना जाए।  हर कलाकार का एक सपना होता है कि वह इससे और भी आगे निकले। मेरा भी टारगेट है कि मैं भी बॉलीवुड में काम करुंगा।
            फिल्म अर्धांगिनी में सूरज सम्राट के साथ अंजना सिंह और शुभी शर्मा बतौर नायिका है। आने वाली फिल्में है सूरज दा रिवेन्जर मैन,तेरी दुल्हन सजाऊँगी,हत्यारा और राजनंदनी है. फिल्म `तेरी दुल्हन सजाऊंगी ' के लेखक रामचंद्र सिंह, संगीतकार अमन श्लोक, गीतकार राजेश मिश्रा, रामचंद्र सिंह, पंकज प्रियदर्शी, अरविंद तिवारी, विवेक बखुशी, संतोष पुरी और शेखर मधुर है। जबकि फिल्म के कलाकारों में सूरज सम्राट, तनु श्री, मधु सिंह राजपूत, बृजेश त्रिपाठी, विनोद मिश्रा, देव सिंह, बालेश्वर सिंह, अरुण सिंह, के के गोस्वामी, श्रद्धा नवल, कल्याणी, अमित पाल बंटी, दिनेश पांडे, राहुल श्रीवास्तव,धामा  वर्मा, आशुतोष चौबे,आर नरेंद्र, रमेश सिंह, सोनी पटेल, माही श्रीवास्तव और विद्या सिंह शामिल है।
 the filmwala. com परिवार की और से suraj samrat जी को ढेरों शुभ कामना ये।

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