फिल्म आन (1952)में हेमंत कुमार साहब ने गाया था सुपरहिट गीत लेकिन बाद में उसी गीत को रफी साहब ने गाया|
हेमंत कुमार की आवाज में सुनिए फिल्म आन का यह गीत
दोस्तों बॉलीवुड में काम के प्रति नाइंसाफी की खबरें अक्सर सुनाई देती रहती हैं| आज हम आपको एक बहुत ही पुरानी बात बताते हैं ऐसी ही एक नाइंसाफी जाने-माने गायक और संगीतकार हेमंत कुमार साहब के साथ भी हुई थी.|वर्ष 1952 में एक फिल्म आई थी 'आन' जिसके निर्माता निर्देशक थे महबूब खान जिसमें मुख्य भूमिकाओं में दिलीप कुमार, निम्मी, प्रेमनाथ, नादिरा मुकरी आदि बेहतरीन कलाकार थे| फिल्म में गीत शकील बदायूनी के थे और संगीत था नौशाद साहब का |आज हम आपको एक ऐसे ही गीत के बारे में बताते हैं जो पहले फिल्म में हेमंत कुमार साहब ने गाया था लेकिन बाद में उसी गीत को रफी साहब ने गाया| गीत के बोल हैं 'मोहब्बत चूमे जिनके हाथ जवानी पांव पड़े दिन-रात' इसे मोहम्मद रफ़ी और शमशाद बेगम ने गाया है |यह गीत बहुत ही फेमस हुआ था और आज भी है इस गीत को लिखा था शकील बदायूनी ने आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गीत को पहले हेमंत कुमार ने गाया था और क्या खूब गया था हेमंत कुमार के गीत को फिल्म में शामिल नहीं किया गया ऐसा क्यों किया गया इसका कोई ठोस वजह तो पता नहीं हालांकि कुछ जानकार बताते हैं कि आन फिल्म में सभी गीत रफी साहब ने गाए थे तो शायद इसीलिए फिल्म के निर्माता न और नौशाद साहब ने निर्णय लिया होगा कि सात गीत रफी साहब ने गाए हैं तो एक गीत हेमंत कुमार साहब के गाने से उचित नहीं समझा होगा और उस वक्त रफी साहब की आवाज दिलीप साहब के लिए ज्यादा उचित मानी जाती थी |हालांकि हेमंत कुमार ने भी गीत को बहुत ही बढ़िया गाया है |रफी साहब और हेमंत कुमार साहब ने इस गीत को बहुत ही बढ़िया तरीके से गया है लेकिन फिल्म में रफी साहब का गाया हुआ गीत ही रखा गया था |
रफी साहब की आवाज में फिल्म आन का यह गीत सुनिए
हेमंत कुमार के गाए गीत को फिल्म में शामिल ना करने की वजह शायद यही हो लेकिन यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है| क्योंकि जो व्यक्ति अपना काम बखूबी से करता हो और उसे नकार दिया जाए, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है| बाहर हाल जो भी हो यह गीत रफी साहब की आवाज में सुपर डुपर हिट रहा और उन्होंने बड़े ही बखूबी तरीके से इसको गाया|