Music Director Jaidev जिन के संगीत को आज भी लोग याद करते हैं II Biography

 Music Director Jaidev जिन के संगीत को आज भी लोग याद करते हैं II Biography


Music Director Jaidev जिन के संगीत को आज भी लोग याद करते हैं II Biography


एक ऐसे कंपोजर और म्यूजिक डायरेक्टर जिन्होंने कम फिल्में जरूर की है लेकिन जितनी भी फिल्में की है उन पर अपनी छाप जरूर छोड़ी है।जी हां दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं म्यूजिक डायरेक्टर, म्यूजिक कंपोजर जय देव साहब की I उनका पूरा नाम जयदेव वर्मा है और उनका जन्म 3 अगस्त 1918 को नैरोबी में हुआ था I 
    आपने फिल्म रेशमा और शेरा तो देखी ही होगी जिसमें सुनील दत्त साहब एक बेहतरीन भूमिका में आपको नजर आए थे i उस फिल्म के गीत उनका जो संगीत था वह भी जय देव जी ने ही दिया था I उसके बाद फिल्म आई प्रेम पर्वत फिल्म के गीतों को आज भी लोग याद करते हैंI बेहतरीन संगीत और शानदार कंपोजीशन से जयदेव साहब ने सभी संगीत प्रेमियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया थाI फिल्म दो बूंद पानी का गीत 'पीतल की मोरी गागरी' जोकि राजस्थानी फोक संगीत से प्रभावित हुआ गीत है और इतना बढ़िया उसके ऊपर फिल्मांकन भी किया गया थाI ख्वाजा अहमद अब्बास द्वारा यह फिल्म बनाई गई थी सन 1971 में और फिल्म में मुख्य भूमिका में थे साथ ही उन्होंने अपना डेब्यू भी शुरू किया था जीवन के पुत्र किरण कुमार ने I फिल्म कुछ ज्यादा नहीं चली लेकिन उसका संगीत आज भी लोगों को याद हैI
      दोस्तों आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे संगीतकार की जिन्होंने बहुत ही कम फिल्मों में अपना संगीत दिया हैI जी हां उनकी एक और फिल्म आई थी रेशमा और शेरा जो सन 1971 में ही रिलीज हुई थीI जिसके मुख्य कलाकार थे सुनील दत्त, वहीदा रेहमान, अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना और उसमें चाइल्ड आर्टिस्ट का जो रोल था वह संजय दत्त ने किया थाI  फिल्म के गाने काफी मकबूल हुए थेI उसका एक गाना तो 'तू चंदा मैं चांदनी' बहुत ही बढ़िया गीत आज भी सुनने को दिल करता हैI
 आगे हम बात करते हैं संगीतकार जयदेव साहब कीi एक अन्य फिल्म जिसका नाम था प्रेम पर्वत फिल्म एक क्लासिक फिल्म थी जिसमें रेहाना सुल्तान, सतीश कौल, हेमा मालिनी  ने अदाकारी की थी Iफिल्म का एक गीत "यह दिल और उनकी निगाहों के साए' I उन्होंने फिल्में जरूर कम की है लेकिन जितने भी गीतों में संगीत दिया है वह लाजवाब हैI फिल्म घरौंडा के गीत या यूं कहिए कि उसमें जो गजलें थी भूपेंद्र सिंह की आवाज में वह भी कमाल की ही थीI
  दोस्तों अब बात करते हैं कि उनके जीवन के बारे मेंI उनका जन्म नैरोबी में हुआ था लेकिन उनके परिवार वाले उनको लेकर लुधियाना आ गए थेI सन 1933 में जब उनकी उम्र 15 वर्ष की थी तो वह घर से मुंबई एक फिल्म कलाकार बनने के लिए निकल गए थे Iउन्होंने आठ फिल्मों में  चाइल्ड आर्टिस्ट काम भी किया था फिर वापस आ गएI उन्होंने संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी उन्होंने बरकत राय जी से संगीत की बारीकियों के बारे में सीखना शुरू कर दिया उसके बाद फिर वह मुंबई वापस आ गएI उन्होंने संगीत कृष्णा राव जयकर और जनार्दन जयकर से तालीम हासिल की क्योंकि कम उम्र में ही उनके परिवार का सारा बोझ उनके कंधों पर पड़ गया थाI  उनके पिताजी को दिखाई नहीं देता था इसलिए वह मुंबई को छोड़कर लुधियाना वापस आ गए Iउनको फिल्म अनकही रेशमा और शेरा और फिल्म गमन के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गयाI
इन फिल्मों में उन्होंने संगीतियां
वैसे तो कई फिल्मों में संगीत दीया हैI कुछ महत्वपूर्ण फिल्में इस तरह हैI जोरू का भाई, समुंदरी डाकू, अंजलि, हम दोनों, किनारे किनारे, मुझे जीने दो, हमारे गम से मत खेलो, जियो और जीने दो, सपना, आषाढ़ का 1 दिन, दो बूंद पानी, एक थी एक थी रीटा, रेशमा और शेरा, संपूर्ण देव दर्शन, भारत दर्शन, भावना, परिणय इत्यादि कुछ फिल्में है इसके अलावा और भी कई फिल्मी ह जिसमें उन्होंने संगीत दिया है I
जय देव साहब ने अपने जीवन में कभी शादी नहीं की 6 जनवरी सन 1987 में वह इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। 

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने