150 फिल्में करने वाली ऐक्ट्रेस सड़क पर कपडे बेचने के लिए मजबूर

 150 फिल्में करने वाली ऐक्ट्रेस सड़क पर कपडे बेचने के लिए मजबूर




 
 
हरीश कौशल
उपासना वैष्णव छालीवुड इंडस्ट्री की जानीमानी कलाकार है। लॉक डाउन की वजह से इन्हे घर चलाना मुश्किल हो गया।आज कल यह सड़क के किनारे कपड़े बेच रही हैं। करोना की महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन ने तो फिल्मों से जुड़े कारोबार को तो बिलकुल एक तरह से जमीन पर ही ला कर खड़ा कर दिया है। न कोई सिनेमा में फिल्म लगी और ना ही अभी तक फिल्मों की सही तरीके से शूटिंग शुरू हुई है। वैसे तो सरकार ने शूटिंग शुरू करने के आदेश तो कुछ समय पहले दे दिए थे लेकिन फिर भी सही माईनो में काम अभी शुरू नहीं हुआ है। इस इंडस्ट्री से जुड़े हजारों लोग अभी भी काम की इन्तजार में है।



उपासना  वैष्णव ने बताया कि करोना की महामारी की वजह से इनको कोई काम नहीं मिला। साथ ही इनके पति की तबीयत भी ठीक नहीं है।परिवार चलाने की सारी जिमेवारी इन्ही के ऊपर है। सड़क पर कपड़े बेचने के अलावा इनके पास और कोई विकल्प नहीं था। अभिनेत्री ने कोरोना की मार से उभरने के लिए अभिनय छोड़ धमधा नाका के पास सिकोला भाटा बाजार में सड़क पर कपड़े की दुकान लगाई है।


  उपासना वैष्णव छत्तीसगढ़ के दुर्ग शहर में रहती है। पिछले 20 वर्षों से फिल्म इंडट्री में काम कर रही है और 150 के करीब फिल्में की है। जिस में 13 भोजपुरी फिल्में है। 17 हिंदी की फिल्में की है। उपासना बताती है की वह रंगमंच से जुड़ी कलाकार है। 16  साल की उम्र से ही स्टेज पर नाटकों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। पिता जी भी कला क्षेत्र से जुड़े हुए थे और साथ ही वह गीतकार और संगीतकार भी है।  यही वजह है कि मैंने इतनी फिल्मों में काम किया और आगे भी करती रहूँ गी।

       उपासना ‘झन भूलो माँ बाप ल’, ‘मया’ मया2 आई लव यू महू दीवाना तहु दीवानी राजा छत्तीसगढ़िया भोला छत्तीसगढ़िया इत्यादि , ‘आई लव यू’, हंस झन पगली फंस जबे’ और ‘वेब सीरिज चमन बाहर’ जैसी डेढ़ सौ से अधिक सुपरहिट फिल्मों में माँ और भाभी का किरदार निभा चुकी है।

उन्होंने ज्यादातर मां के किरदार निभाए हैं तो कहती है कि मेरे को फिल्म इंडस्ट्री से बहुत ज्यादा प्यार मिला है कमाल की कलाकार हैं दक्षिण की फिल्में भी की हैं इन्होंने Iभोजपुरी फिल्मों में बड़े कलाकारों के साथ जैसे निरहुआ की फिल्मों में भी काम किया है। कुछ मराठी फिल्मों में भी काम किया है। अलग-अलग भाषाओं में फिल्में करने से भाषा की इनको कोई कभी भी समस्या नहीं आई।

सोशल मिडिया पर अपनी एक पोस्ट में उपासना लिखती है की  जिंदगी की जद्दोजहद में एक नई शुरुवात 8 माह के कोरोना काल ने आज हमें रोड पर कपड़े बेचने को मजबूर कर दिया ताकि दीवाली मना सके। मैं लोगो से कहना चाहती हूँ की कोई काम छोटा बड़ा नही होता। काम की शुरुवात करे। क्योंकि कलाकारी से जीवन नही चल सकता। इतना आसान नही है यह काम। जीना है कुछ तो करना है। उपासना ने कहा की हर लम्हा हमें कोई न कोई सीख जरूर दे कर जाता है।कोरोना ने हमें यह सिखाया कि कलाकार के पास दूसरे सोर्स भी होने चाहिए। कहने का मतलब यह है की आप केवल एक्टिंग के बलबूते पर कभी भी अपना घर नहीं चला सकते।आप के पास पैसा कमाने के अन्य विकल्प भी होने बहुत ही जरूरी है।


 

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने