सिनेमा को मिली सुपरहिट फिल्मे देने वाली एक्ट्रेस कनक यादव
हरीश कौशल
कड़ी मेहनत और जीवन में कुछ करने का जज्बा होना बहुत जरूरी है तभी सफलता आप के कदम चूमेगी। इतनी कम उम्र में एक सफल अभिनेत्री और निर्माता बनना कोई बच्चो का खेल नहीं है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है कानपुर देहात में जन्मी कनक यादव ने। पिता पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर है। ज्यादातर जो परवरिश रही है वह एनसीआर में नोएडा, दिल्ली, मेरठ और गाजियाबाद में रही है। अभी फिलहाल गाजियाबाद में एक घर हैऔर मुंबई कर्म भूमि है और एक घर मुंबई में भी है। वह कहती है कि मेरा अभिनेत्री बनने का ऐसा कोई शौक नहीं था मुझे टीवी देखने का बहुत शौक था। फिल्में देखने का बहुत शौक था। मेरे को डांस करने का भी बहुत शौक था। मैं कोई प्रोफेशनल डांसर नहीं हूं। क्योंकि कभी सीखने का मौका ही नहीं मिला। जैसा कि मैंने बताया कि मेरा परिवार सारा सरकारी नौकरी में है। पुलिस और आर्मी में सब लोग सेवाएं दे रहे हैं और एक पढ़ी-लिखी फैमिली है।
10वीं तक पढ़ाई मेरठ में हुई है और प्लस टू की शिक्षा वह गाजियाबाद में हुई है। बाकी की पढ़ाई बीसीए और एमसीए वह जंभेश्वर यूनिवर्सिटी हिसार से हुई है।
उन्होंने बताया कि मैं नोएडा में रहती थी और वहां ब्यूटी कॉन्टेस्ट फैशन शो इत्यादि होते रहते थे तो उनमें हिस्सा लेती रहती थी। मेरे को ऐसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का बहुत ही शौक है। मैं हर तरह का चैलेंज एक्सेप्ट करने के लिए हमेशा तैयार रहती हूं। मेरा अक्सर सोचने का यही तरीका होता है कि मुझे इस चीज के बारे में जानना है अपना ज्ञान बढ़ाना है। तब मेरे को यह नहीं था कि मैंने एक हीरोइन बनना है या मैंने फिल्म इंडस्ट्री में जाना है। ऐसे ही नोएडा में एक Contest हुआ था जिसमें मैं मिस नोएडा रही थी। मैंने अपनी पढ़ाई को ही हमेशा अहमियत दी है। मेरा यह मानना है कि आप जो भी करना चाहते हैं कीजिए। सपने देखिए आप एक स्तर तक। अपनी शिक्षा जरूर ग्रहण कर ले ताकि आप किसी भी फील्ड में जाना चाहते हैं तो आपको कोई परेशानी ना हो।
उन्होंने बताया कि मैं नोएडा में रहती थी और वहां ब्यूटी कॉन्टेस्ट फैशन शो इत्यादि होते रहते थे तो उनमें हिस्सा लेती रहती थी। मेरे को ऐसी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का बहुत ही शौक है। मैं हर तरह का चैलेंज एक्सेप्ट करने के लिए हमेशा तैयार रहती हूं। मेरा अक्सर सोचने का यही तरीका होता है कि मुझे इस चीज के बारे में जानना है अपना ज्ञान बढ़ाना है। तब मेरे को यह नहीं था कि मैंने एक हीरोइन बनना है या मैंने फिल्म इंडस्ट्री में जाना है। ऐसे ही नोएडा में एक Contest हुआ था जिसमें मैं मिस नोएडा रही थी। मैंने अपनी पढ़ाई को ही हमेशा अहमियत दी है। मेरा यह मानना है कि आप जो भी करना चाहते हैं कीजिए। सपने देखिए आप एक स्तर तक। अपनी शिक्षा जरूर ग्रहण कर ले ताकि आप किसी भी फील्ड में जाना चाहते हैं तो आपको कोई परेशानी ना हो।
अक्सर लोग क्या करते हैं घर से भाग जाते हैं। पढ़ाई पूरी नहीं करते, हीरो बनने के लिए मुंबई चले जाते हैं। ना 10वीं पूरी करते हैं ना 12वीं पूरी करते हैं। यह सब जानते हैं कि 10वीं या 12वीं करके कोई नौकरी नहीं मिलती। मुंबई जाकर आपका कुछ नहीं बनेगा। फिर आप मायूस हो जाओगे और आगे से किसी भी कार्य को करने के लिए आपका मन नहीं करेगा। मेरी सभी को यही सलाह है कि अपनी पहले ग्रेजुएशन कम से कम मुकम्मल करें। फिर इस पेशे के बारे में सोचें। इसका मुख्य कारण यह है कि अगर आपके जीवन में कोई मुश्किल आए तो पढ़ाई एक ऐसा ज्ञान है जिसको लेकर आप कभी भी कुछ भी अन्य काम कर सकते हैं।
सपनों पर चलना चाहिए लेकिन मूर्खता नहीं करनी चाहिए। मैं समय का सही उपयोग करती थी क्योंकि मेरी लुक भी अच्छी है और गर्मी की छुट्टियों में कुछ ना कुछ सीखने के लिए कोई न कोई कार्य करती रहती थी। यहां तक कि मैंने कॉल सेंटर में भी नौकरी की है। मेरे मन में हमेशा कुछ सीखने की इच्छा रहती है और मेरे को यही हो रहा था कि कॉल सेंटर क्या चीज होती है। इसमें किस तरह से लोग काम करते हैं। मुझे इसके बारे में कुछ मालूम नहीं था। मैंने वहां भी काम किया। आम लोगों के बहुत अजीब से विचार होते हैं कॉल सेंटर के बारे में। पर ऐसा कुछ नहीं था वहां जाकर मेरे को एक चीज और पता लगी कि वहां टाइमिंग अलग होती है। क्योंकि कॉल सेंटर में रात को जॉब करनी पड़ती है उसका मेन कारण यही होता है कि पश्चिम देशों में उस समय दिन होता है। यह सब मेरी पढ़ाई के साथ साथ ही चल रहा था। इससे मेरी पढ़ाई बिल्कुल भी डिस्टर्ब नहीं हुई थी। इंसान कोई भी काम करने के लिए अगर चाहे तो समय निकाल सकता है। मैं काम करने का समय प्लान करती हूं। मैं सुबह 5:00 बजे उठ जाती थी और उसी के हिसाब से अपने दिन की प्लानिंग में करती थी। मैंने यह ठाना हुआ था कि मेरे को खुद स्ट्रगल करना है। मेरे पास अपनी गाड़ी भी थी लेकिन फिर भी मैं लोकल बसों में ही सफर करती थी और साथ में मैं इस स्ट्रगल को महसूस भी करती थी।
अपने फिल्मी सफर के बारे में कनक यादव बताती हैं कि गुरुग्राम में एक बार ब्यूटी कॉन्टेस्ट हुआ था। जिसमें मैं मिस ब्यूटीफुल स्माइल चुनी गई थी। वहीं से मेरे को एक फिल्म भी मिली। लेकिन वह अभी तक रिलीज नहीं हो पाई। हिंदी फिल्म थी। मैंने अपनी पढाई जारी रखी।
कनक यादव एक सफल निर्माता के साथ-साथ बहुत बढ़िया एक्ट्रेस भी हैं। सबसे पहली भोजपुरी फिल्म की बात करें तो `रब्बा इश्क ना होवे 'जो सन 2017 में बनी थी। वह फिल्म की प्रोड्यूसर थी। इसमें उन्होंने बतौर सेकंड फीमेल लीड रोल भी किया था। फिल्म में राधा नाम का करैक्टर था। वह बखूबी से निभाया। वह एक बड़ा ही मजेदार किस्सा बताती हैं कि जब इस फिल्म की प्रमोशन के लिए वह खुद अकेली लखनऊ के नवरंग सिनेमा में गई थी। मजेदार बात यह थी कि ना ही कोई भी फिल्म की स्टार कास्ट पहुंची थी ना ही हीरो पहुंचे थे और ना ही किसी को मैंने बताया था कि मैं वहां पहुंचने वाली हूं। अचानक चली गई थी और वहां जब मैं पहुंची तो मुझे मिलने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई। यह पहली बार हुआ होगा कि भोजपुरी फिल्म की कोई हीरोइन अकेली प्रमोशन के लिए सिनेमा हॉल में गई हो और इतनी भीड़ हो गई हो।
कनक यादव बताती है की उन्होंने शुरू में डीडी नेशनल पर नैंसी नामक सीरियल में मैंने काम किया। सहारा वन पर जय -जय बजरंगबली, ज़ी टीवी के गौतम बुद्धा, बालिका बधु,क्या सुपर कूल,सोनी के लिए क्राइम पेट्रोल, डीडी नेशनल के लिए दिल आशना है और डीडी किसान के लिए किसके रोके रुका है सवेरा जैसे सफल सीरियल में मैंने काम किया है। डीडी किसान पर चल रहे धारावाहिक किसके रोके रुका है सवेरा के बारे में वह बताती हैं कि उनके किरदार को बहुत ही सराहा गया है। इस धारावाहिक में उनके किरदार का नाम आशा है जो नई नवेली दुल्हन है। यह बहुत से लोगों के साथ ऐसा होता भी है। एक लड़की जब शादी करके ससुराल में आती है तो उसको किस तरह से दूसरे परिवार में अपने आपको ढालना पड़ता है। अपने ससुराल की मान मर्यादाओं संस्कारों की रक्षा करते हुए अपने सपनों को पूरा करना होता है। बहुत सी बेड़ियां बंदिशों में रहते हुए भी अपनी पढ़ाई पूरी करते हुए कुछ बन पाती है और अपने मुकाम को हासिल कर पाती है। यह शायद आशा की कहानी ही नहीं ज्यादातर देश की महिलाओं की कहानी है।
जब उनसे यह पूछा गया कि आपके दिमाग में एक फिल्म को प्रोड्यूस करने का आईडिया कैसे आया तो उन्होंने बताया कि सन 2016 के अंत तक वह दूरदर्शन का एक सीरियल कर रही थी दिल आशना है। इस सीरियल में एक मुस्लिम लड़की नसीमा का किरदार निभाया था। इससे पहले मैंने और भी दूरदर्शन के कई सीरियल किए थे। एक सीरियल था जिसमें मैंने रजा मुराद जी की बेटी का रोल अदा किया था। गौतम बुद्धा इत्यादि सीरियल में मैंने काम किया। साथ में मेरी पढ़ाई भी चल रही थी। पढ़ाई को मैंने कभी नहीं छोड़ा। ग्रेजुएशन डिस्टेंस एजुकेशन के द्वारा की थी बहुत ही अच्छे नंबरों से पास हुई और जब यह उनसे पूछा गया कि बतौर निर्माता और एक कलाकार के रूप में पहली आपकी फिल्म जो भोजपुरी में थी तो उसका एक्सपीरियंस आपको कैसा रहा। वह बताती हैं कि इसमें मेरे लिए सब कुछ ही नया था पहली बार में फिल्म को प्रोड्यूस कर रही थी और पहली बार ही भोजपुरी में एक्टिंग भी कर रही थी। क्योंकि भोजपुरी भाषा मेरे को बिल्कुल भी नहीं आती। जन्म मेरा जरूर उत्तर प्रदेश में हुआ लेकिन मैं ज्यादातर एनसीआर में ही रही हूं। मैंने भाषा की पकड़ के लिए बहुत मेहनत की और उसमें मैं कामयाब हो गई। कई बार उसमें परेशानी यह होती है कि आपके जो आसपास के कुछ लोग होते हैं इस इंडस्ट्री के। वह आप को डिमोरलाइज भी करने की कोशिश करते हैं। लेकिन मैंने ऐसा होने नहीं दिया और अपने मकसद में कामयाब हो गई। अगर हम बात करें फिल्म रब्बा इश्क ना होवे बहुत ही कामयाब फिल्म रही थी। फिल्म उत्तरप्रदेश,बिहार,नेपाल,गुजरात और महाराष्ट्र में रिलीज हुई थी और फिल्म को जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला। फिल्म के मुख्य कलाकार अरविंद अकेला `कल्लू ' जी थे।
लॉकडाउन के दौरान सब लोग घर में बैठे थे लेकिन मैं काम कर रही थी लॉकडाउन से पहले मैं अपनी एक भोजपुरी फिल्म मुकम्मल करके आई थी फिल्म में अरविंद अकेला कल्लू इनके ऑपोजिट रोल में हैं फिल्म का नाम है प्यार तो होना ही था के दौरान दूरदर्शन के लिए चार साल पहले एक पायलट तैयार किया था तो उसकी अप्रूवल आ गई थी। उसके ऊपर भी काम शुरू होना था। 5 अगस्त को हमारे सीरियल की शूटिंग शुरू हो गई थी।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद नापोटिजीम के बारे बहुत चर्चा हुई। इस विषय के बारे वह कहती है की नापोटिजीम हर जगह है.हर कोई अपने ख़ास लोगों को आगे करना चाहता है।बुरी बात नहीं है लेकिन बुराई तब होती है जब किसी टेलेंटेड कलाकार को दबाकर उस का शोषण किया जाता हो। उसे किसी भी कीमत पर सही नहीं माना जा सकता। जब सुशांत सिंह राजपूत की मृतयु हुई थी तो कनक यादव ने अपने फेसबुक पर इस के बारे कुछ इस तरह से सच लिखा था।
।। कड़वा है पर सत्य है ।।
अब बहुत हो गया सोच रही थी लिखूं या ना लिखूं पर अब तो बोलना पड़ेगा ! आज सुशांत सिंह राजपूत के मरने पर सब अपना आपा बैठे हैं । भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और उनके नाम पर आप सब लोग राजनीति करना बंद करें । सबसे पहले खुद गर्व से कहें कि आप यूपी से और बिहार से हैं और अपने यहां के चीजों को सुधारें । आप लोग यह भूल गए हैं कि " नेपोटिज्म कहां नहीं है क्या कोई इंडस्ट्री अछूती है ? " लोग सिर्फ सुशांत जी की बातें कर रहे हैं इसमें कोई गलत भी नहीं है पर सुशांत जैसे कितने ही लोग जो छोटे शहरों से हैं और इस इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं जिनको पहचान की जरूरत है क्या आप लोगों ने उनके लिए आवाज उठाई ? नहीं उठाई ! अगर आप सबको अपनी शान इतनी प्यारी है तो आप अपनी इंडस्ट्री को उठाइए ।
जो लोग सिनेमाघरों में नहीं जाते उन लोगों की फिल्में नहीं देखते । डंका बजवाना है तो अपने यहां की इंडस्ट्री को उठाइए वहां के लोगों को रोजगार भी मिलेगा और आपका नाम भी होगा जैसा कि साउथ की फिल्मों में हो रहा है आज साउथ की फिल्में हर कोई देखता है वहां के लोगों को रोजगार मिल रहा है वहां की फिल्में देखी जा रही हैं यही काम आप लोग भी कर सकते हैं । करोड़ लोग रहते हैं यूपी बिहार में चाहें तो किसी भी इंडस्ट्री को बना सकते हैं और बिगाड़ सकते हैं किसी औरको दोष देने से अच्छा है खुद अपने आप को दोष दीजिए और रही परिवारवाद की बात तो हर जगह है चाहे राजनीति हो चाहे में फिल्मी जगत हो या फिर कोई भी जगह हो । किसी को इंसाफ दिलाने का मतलब यह नहीं है कि कुछ भी गलत लिखा जाए । आप जिन्हें स्टार बनाते हैं उनकी फिल्में आप लोग खुद देखने जाते हैं उन प्रोड्यूसर्स को खुदा बड़ा बनाते हैं और जो लोग आपके यहां के हैं काम करना चाहते हैं उनकी फिल्में आप लोग देखते ही नहीं । क्या बिहार से सिर्फ सुशांत सिंह राजपूत ही आते हैं और कोई कलाकार यूपी बिहार से नहीं है बहुत सारे लोग हैं । हर जगह दबाया जाता है और आप लोग खुद दबाते हैं बढ़ाना है तो सब की फिल्में देखिए जिनको आप बढ़ाना चाहते हैं और सबसे पहले खुद के अंदर कमियां हटाइए ।
नए कलाकारों की फिल्में देखेंगे तो नए कलाकारों को जगह मिलेगी । आप लोग नए कलाकार फिल्म नहीं देखते हैं इसकी वजह से हर कोई सुपरस्टार की डिमांड करता है । जिस दिन आप सुपर स्टारों की फिल्म देखना छोड़ देंगे अपने आप ही इंडस्ट्री का हर कोना सुधर जाएगा और हर किसी को यहां पर जगह मिलेगी क्योंकि फिर लोग यह देखेंगे कि हम नए कलाकारों को फिल्म लेकर बनाएंगे तभी हमें उनसे पैसे की कमाई होगी । यूपी बिहार से कितने ही कलाकार आते हैं जो यह तक बोलने पर हिचकिचाते हैं कि वह बिहारी हैं या यूपी वाले हैं आखिर क्यों क्योंकि कमियां हमारे अंदर ही हैं हम उनको सुपरस्टार नहीं बनाते हैं । स्वाभाविक रूप से जिसकी फिल्म आप देखेंगे उसकी चलेगी जिसकी नहीं देखेंगे उसकी फ्लॉप हो जाएगी । इसी तरीके से जिस नेता को अब बनाना चाहेंगे उसको कुर्सी मिलेगी और जिसको नहीं बनाना चाहेंगे उसको नहीं मिलेगी चलेगी । सोचे समझे उसके बाद कोई फैसला लीजिए ।
कनक यादव के चाहने वाले हमेशा यही दुआ करेंगे की वह अच्छी -अच्छी फिल्में बनाए और साथ ही अभिनय की दुनिया में देश ही नहीं पूरी दुनिया में
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Kanak Yadav







