Zee Tv के ‘कुर्बान हुआ‘ में मौत वाले दृश्य के लिए आयाम मेहता ने अपने स्वर्गीय पिता को किया याद The Filmwala





Zee Tv  के ‘कुर्बान हुआ‘ में मौत वाले दृश्य के लिए आयाम मेहता ने अपने स्वर्गीय पिता को किया याद



कुर्बान हुआ के माधवानंद व्यास जी ने बताई मुश्किल दृश्यों की असली चुनौती
हम रोज अपने टेलीविजन स्क्रीन्स पर एक्टर्स को अपने स्वाभाविक अभिनय से जानी-पहचानी परिस्थितियों में जान फूंकते हुए हमारे दिलों में जगह बनाते देखते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि ऐसे कठिन और भावुक दृश्य  करते वक्त उनके दिमाग में क्या चल रहा होता है? जहां लॉकडाउन धीरे-धीरे खुल रहा है वहीं ज़ी टीवी ने भी अपने दर्शकों को उनके चहेत  किरदारों के सफर से जोड़ने के लिए शूटिंग शुरू कर दी है। ऐसे में कुर्बान हुआ में व्यास जी का रोल निभा रहे टेलीविजन एक्टर आयाम मेहता ने इस तरह के मुश्किल दृश्य  में अपने अभिनय की हकीकत बयां की।
इस एक्टर के मुताबिक एक्टिंग का मतलब है किसी किरदार का अनुसरण करना। आप जिस खूबी से किरदार की नकल करते हैं, उससे आपकी कला के बारे में पता चलता है। आयाम मानते हैं कि वो व्यक्तिगत परिस्थितियों से जुड कर पर्दे पर उस पल की विश्वसनीयता जगाते हैं और यही उनकी अभिनय की काबिलियत है। आयाम मेहता कहते हैं, ‘‘हमारे काम और टैलेंट में हमें अक्सर उस किरदार में पूरी तरह ढलना होता है ताकि हम उस सीन से दर्शकों को प्रभावित कर सकें।‘‘
आयाम ने उस पल को याद किया जब ‘कुर्बान हुआ‘ के लिए उन्हें मौत के एक सीक्वेंस की शूटिंग करनी थी। आयाम बताते हैं, ‘‘हमने हाल ही में इस शो के एक सीक्वेंस की शूटिंग की, जिसमें मेरी बेटी सरस्वती की मृत्यु हो जाती है और उसका पिता होने के नाते मुझे भावनात्मक आघात पहुंचता है। इसमें मेरा किरदार स्तब्ध रह जाता है और ना तो उनके आंसू निकल पाते हैं और ना ही वो दुख प्रकट कर पाते हैं। इस दृश्य  के लिए असली भावनाओं की जरूरत थी और उस पल में मैं अपनी एक निजी घटना से जुड़ गया, जब मैं काफी छोटा था और मेरे पिता का देहांत हो गया था। कुर्बान हुआ में अपने किरदार की तरह मैं भी उस समय भावनात्मक रूप से स्तब्ध रह गया था और मैं अपनी भावनाएं उस ढंग से अभिव्यक्त नहीं कर पाया था, जिस तरह दूसरे लोगों ने किया था। उस मुश्किल वक्त को याद करने से मुझे इस सीन को बेहतर तरीके से निभाने में मदद मिली।‘‘
आयाम ने आगे कहा, ‘‘कभी-कभी हम मुश्किल दृश्यों को अपनी जिंदगी से नहीं जोड़ पाते हैं लेकिन फिर भी आपको ऐसी कल्पना करनी पड़ती है जैस  यह त्रासदी सचमुच आपके साथ हुई हो और तब जाकर आपकी सही भावनाएं निकलकर आती हैं। एक्टर्स होने के नाते हमें यह भी सीखना होता है कि ऐसे २श्यों का हम पर असर ना पड़े नहीं तो यह आपको निजी तौर पर
प्रभावित कर सकते है। इस बात के प्रति जागरूक होना जरूरी है कि ये सारी भावनाएं सिर्फ एक सीन के लिए हैं।‘‘
खैर, आयाम मेहता ने तो अपनी मेथड एक्टिंग से यकीनन हमारे दिलों को जीत लिया है। कुर्बान हुआ में व्यास जी के रोल में उनका यह सफर जारी रहेगा, जब 13 जुलाई से यह शो ज़ी टीवी पर वापसी कर गया है।
कुर्बान हुआ में देखिए अपने परिवार के प्यार और सम्मान के लिए किस हद तक जाएंगे नील और चाहत, 13 जुलाई से सिर्फ ज़ी टीवी पर।  

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