नहीं रहे शास्त्रीय गायक पंडित जसराज,पीएम और गृह मंत्री ने जताया शोक
दुनिया के महान शास्त्रीय गायकों में जाने जाते पंडित जसराज(Pandit Jasraj)का अमेरिका में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के बाद से पंडित जसराज न्यू जर्सी में ही थे। उन्होंने सोमवार सुबह आखिरी सांस ली। उनकी बेटी दुर्गा जसराज ने यह जानकारी दी। पंडित जसराज को संगीत की शुरुआती शिक्षा पिता पंडित मोतीराम ने दी बाद में उनके भाई ने उनको तबला संगीतकार के रूप में प्रशिक्षण किया। उन्होंने 14 वर्ष की आयु में गायक के रूप में प्रशिक्षण शुरू किया। 22 साल की उम्र में उन्होंने गायक के रूप में अपना पहला स्टेज कार्यक्रम किया। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उनको पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री से नवाजा गया।
हरियाणा के हिसार से नाता रखने वाले जसराज ने मशहूर फिल्म निर्देशक वी शांताराम (V.Shantaram)की बेटी मधुरा शांताराम से विवाह किया था। मधुरा से उनकी मुलाकात 1960 में मुंबई में हुई थी। 1962 में विवाह हुआ। उनके परिवार में 2 पुत्र एक पुत्री है। इस साल जनवरी में अपना जन्मदिन मनाने वाले पंडित जसराज 9 अप्रैल को हनुमान जयंती पर फेसबुक लाइव के वाराणसी से संकट मोचन हनुमान मंदिर से लाइव दिया था।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पंडित जसराज जी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने कहा पंडित जसराज जी के दुर्भाग्यपूर्ण निधन से भारतीय संस्कृति जगत में एक गहरा शून्य पैदा हो गया है ना केवल उनकी प्रस्तुतियां उत्कृष्ट थी बल्कि उन्होंने कई अन्य गायकों के लिए एक असाधारण गुरु के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके परिवार और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।
उधर केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने विख्यात शास्त्रीय गायक पंडित जसराज के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। एक ट्वीट में श्री अमित शाह ने कहा कि संगीत मार्तंड पंडित जसराज जी एक असाधारण कलाकार थे। जिन्होंने अपनी जादुई आवाज से भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध किया। उनका निधन व्यक्तिगत हानि के समान है। वह अपनी अद्वितीय रचनाओं के माध्यम से हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति शोक संवेदना। पंडित जसराज भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रमुख गायकों में से एक थे। वर्ष 2000 में पंडित जसराज को भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया था।