माइग्रेन भारत में हमारे युवाओं में सबसे आम प्रकार का सिरदर्द है, लेकिन हर सिरदर्द माइग्रेन नहीं हो सकता है
चंडीगढ़, ‘हर सिरदर्द माइग्रेन नहीं है और उसे उपचार की आवश्यकता
है’ माइग्रेन भारत में हमारे युवाओं में सबसे आम प्रकार का सिरदर्द है,
लेकिन हर सिरदर्द माइग्रेन नहीं हो सकता है। यह बात सेक्टर 27 स्थित
चंडीगढ़ प्रैस कल्ब में आयोजित एक प्रैस वार्ता के दौरान फोर्टिस हॉस्पिटल,
मोहाली के एसोसिएट कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी डॉ. अमित शंकर सिंह ने कही।
फोर्टिस
हॉस्पिटल,मोहाली में हेडएक ओपीडी संचालित कर रहे डॉ.अमित ने बताया कि
उत्तर भारत की स्थानीय आबादी में माइग्रेन और टीएसी प्राथमिक सिरदर्द हैं।
उन्होंने बताया कि माइग्रेन बहुत आम है और विभिन्न लक्षणों के साथ के साथ
पहचाना जा सकता है: जैसे आधे या पूरे सिर में दर्द, 4 घंटे से 72 घंटे की
अवधि के साथ एपिसोडिक सिरदर्द, नब्ज या धडक़न के साथ दर्द महसूस होना,
प्रकाश या ध्वनि संवेदनशीलता के साथ जुड़े सिरदर्द, कभी-कभी मतली, उल्टी,
चक्कर आना या दृश्य शिकायतों से जुड़े सिरदर्द, शुरू में, वे एपिसोडिक होते
हैं लेकिन बाद में ठीक से और समय पर इलाज न होने पर क्रॉनिक बन सकते हैं।
डॉ
अमित द्वारा एक ऐसी ही व्यक्ति के बारें में बोलते हुए उन्होंने बताया कि
रोगी विवेकानंद, एक 42-वर्षीय व्यक्ति पिछले कुछ महीनों से कई स्पष्ट दिखने
वाले लक्षणों और आंखों की नजर से संबंधित दिक्कतों के साथ क्रमिक सिरदर्द
से पीडि़त थे। इस क्रमिक सिरदर्द के सभी प्रभाव माइग्रेन के समान
लक्षणपूर्ण थे। वे इस सिरदर्द के लिए एंटी-माइग्रेन का इलाज करवा रहे थे
लेकिन सिरदर्द लगातार बना हुआ था। एक दिन उन्होंने शरीर के एक तरफ के
असामान्य झटकेदार मूवमेंट को भी विकसित होते हुए देखा, जिसके बाद उनको
इमरजेंसी की स्थिति में फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली लाया गया।
रोगी
की संपूर्ण जांच डॉ. अमित शंकर सिंह, एसोसिएट कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी,
फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली द्वारा किया गया था। रोगी ने उनको बताया कि वह
सारकॉइडोसिस के लिए ओरल स्टेरॉयड ले रहे था (सरकोइडोसिस एक फेफड़ों की
बीमारी है जिसके लिए स्टेरॉयड दिया जाता है)। उनका तुरंत एक ब्रेन एमआरआई
किया गया और उसकी रिपोर्ट देखकर सभी हैरान रह गए क्योंकि मरीज के मस्तिष्क
के बाईं और तीन बड़े गोल गोल घाव थे।
डॉ.अमित
ने मरीज के परिवार को बताया कि पहले जो सिरदर्द था, वह माइग्रेन नहीं था,
लेकिन मस्तिष्क में इन बड़ी गड़बडिय़ों यानि घावों के कारण और मस्तिष्क के
दृश्य भाग में उनके स्थान के कारण नजर संबंधित समस्याएं पेश आ रही थीं।
ट्यूबरकुलर या बैक्टीरियल फोड़ा की संभावनाओं पर विचार किया गया और उपचार
शुरू किया गया। लेकिन मरीज की हालत और खराब हो गई और उसने कुछ ही दिनों में
शरीर की दाहिनी ओर की कमजोरी भी विकसित हो गई। दोबारा ब्रेन एमआरआई करने
पर सामने आया कि घाव के चारों ओर सूजन बढ़ गई थी और ये सूजन मस्तिष्क के
महत्वपूर्ण हिस्सों को संकुचित कर रह्वही थी, जिसके कारण मरीज को कमजोरी भी
हो रही थी।
मरीज को तुरंत
फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के न्यूरोसर्जरी टीम द्वारा ऑपरेट किया गया था
और एक बड़े घाव से दबा कर मवाद को निकाला गया, जिससे कुछ राहत दिखी। इस
मवाद को फोर्टिस लैब में जांच के लिए भेजा गया था और एक बहुत ही दुर्लभ
विकसित हो रहा आर्गेनिज्म ‘नोकार्डिया’ को उनके मस्तिष्क में देखा गया।
नोकार्डिया में फफूंद और बैक्टीरिया की मिश्रित विशेषताएं हैं और यह इस तरह
के रोगी में इम्यून-सप्रेस्ड वाले व्यक्तियों में बढ़ सकता है जैसे कि वे
स्टेरॉयड पर थे। मरीज को उचित एंटीबायोटिक दवाओं पर रखा गया था और वह लगभग 3
महीने तक इलाज के बाद धीरे-धीरे पूरी तरह से ठीक हो गए हैं।
डॉ.अमित
ने बताया कि अनजाने में, कभी-कभी माइग्रेन को अधिकांश रोगियों में सिरदर्द
का कारण माना जाता है, लेकिन विस्तृत मूल्यांकन पर, कुछ किसी बीमारी का
निदान शायद ही कभी किया जाता है। यह रोगी भाग्यशाली था कि उसकी बीमारी का
समय पर निदान किया गया। इसके अलावा, नोकार्डिया ब्रेन एबसेस के मरीजों में
एक उच्च मृत्यु दर देखी जाती है, लेकिन उचित देखभाल और उपचार के साथ, रोगी
पूरी तरह से ठीक हो गया। उनके एमआरआई ब्रेन में भी सुधार हुआ है, लेकिन अभी
भी मस्तिष्क में कुछ अवशेष बाकी बचे रहने के कारण उनको नजर के साथ क्रमिक
सिरदर्द होता है लेकिन वह काफी कम है।
एक
अन्य 64 वर्षीय पुरुष रोगी जिसका इलाज मोहाली स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में
डॉ.अमित ने किया था, जिनके सिर में बिजली के करंट दौडऩे जैसा सिरदर्द होता
था। इन दुर्बल सिरदर्द के मैनेजमेंट के लिए उन्हें फोर्टिस हॉस्पिटल,
मोहाली में द हेडएक क्लिनिक में भेजा गया। उसकी दाहिनी आंख से लालिमा और
आंसू भी निकले थे। इस तरह के सिरदर्द ट्राइजेमिनल ऑटोनॉमिक सेफेलगियस
(टीएसी) ग्रुप में फिट होते हैं, जहां एकतरफा सिरदर्द के साथ एकतरफा लक्षण
जैसे लालिमा और आंखों से आंसू आना मौजूद होते हैं।
डॉ.अमित
द्वारा रोगी की विस्तृत जांच की गई और उसे माथे पर छोटे-छोटे वेसिल्स
(छोटे छोटे उभार)मिली। उन्होंने इसे सही चेहरे और सिर के हरपीज जोस्टर के
रूप में डायग्नोस किया, जो कि एक वायरल संक्रमण है जिसे हर्पीस जोस्टर
ऑप्टलमिकस भी कहा जाता है। रोगी का एंटी-वायरल और टीएसीएस उपचार शुरू किया
गया था और उसके वेसिल्स और दर्द अगले कुछ दिनों में कम हो गए। तो, इस
मामले में, हर्पीस जोस्टर ऑप्टलमिकस ने टीएसीएस ग्रुप के प्राथमिक सिरदर्द
की नकल की।
उन्होंने
फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली में माइग्रेन के लिए बहुविधता उपचार के बारे में
भी बताया और इस मिथक को खारिज कर दिया कि माइग्रेन का पूरी तरह से इलाज
नहीं किया जा सकता है। सीएसी सिरदर्द का एक दुर्लभ समूह है और चिकित्सा
प्रबंधन के साथ भी इसका इलाज किया जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि
आमतौर पर, ये प्राथमिक सिरदर्द जैसे माइग्रेन और टीएसी को हमेशा संक्रमण,
क्लॉट यानि थक्के या ट्यूमर के कारण होने वाले माध्यमिक या रोगसूचक सिरदर्द
से सावधानीपूर्वक अलग करने की आवश्यकता होती है।
