चौपाल के दिन लौट आये II गांव इस्सापुर के नौजवानों ने बजुर्गों के आशीर्वाद से की पहल II आओ चौपाल लगायें

 चौपाल के दिन लौट आये 

गांव इस्सापुर के नौजवानों की पहल आओ चौपाल लगायें 




अपने प्यारे गाँव से, बस है यही सवाल ii
बूढा पीपल हैं कहाँ,गई कहाँ चौपाल ii

रही नहीं चौपाल में, पहले जैसी बात !
नस्लें शहरी हो गई, बदल गई देहात !!

जब से आई गाँव में, ये शहरी सौगात !
मेड़ करें ना खेत से, आपस में अब बात !!


डेराबस्सी (वाईपीएस चौहान ) डॉo सत्यवान सौरभ, की खूबसूरत पंक्तियां जो कि गांव की चौपाल के बारे में लिखी हैं। एक वक्त था जब गांवों में किसी पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर शाम के वक्त गाँव के पुरूष आपस में इकट्ठा होते थे। उस चौपाल में गांव से जुड़े किसी मुद्दे पर बातचीत और हल निकाला जाता था। आपस में विवाद सुलझाए जाते थे। किसी विशेष की समस्या पर विचार होता था। उस दौरान महिलाओं को चौपाल में जाने की मनाही होती थी। धीरे धीरे चौपालें विलुप्त होती चली गई। गांव इस्सापुर,डेराबस्सी, जिला एसएएस (मोहाली ), पंजाब   की युवा पीढ़ी बजुर्गों के सहयोग से मिलकर गांव में चौपाल लगाने की तैयारी में जुट गए हैं। इंटरनेट और तकनीक के जमाने में हम लोगों ने अपने जीवन का सारा दारोमदार इसी मोबाइल और नई तकनीक के ऊपर छोड़ दिया है या यूं कह लीजिए कि हम लोग इसके गुलाम हो चुके हैं और इससे आपसी भाईचारा भी खत्म होता नजर आ रहा है। एक जमाना था हर गांव में चौपाल होती थी और वहां पर बैठकर खासकर बुजुर्ग इकट्ठे होकर अपने दुख दुख दर्द सांझा करते थे और समय व्यतीत करने के लिए ताश भी खेला करते थे। चौपाल एक कम्युनिकेशन का जरिया भी होता था। गांव में कोई बाहर से अनजान व्यक्ति दाखिल होता था तो वह पहले चौपाल में बैठे लोगों से ही अपने जानकार व्यक्ति के घर के बारे में रास्ता पूछता था।  चौपाल में बैठे लोगों को यह नजर भी होती थी कि गांव में कौन आया है और कौन गया है। लेकिन अब यह सब उलट हो गया है किसी को किसी के बारे में कोई खबर नहीं रहती। 
             चौपाल में दोबारा लोग बैठे और अपनी जानकारी बढ़ाएं सा थी कोई समस्या होती है तो उसके भी हल निकालने की कोशिश करें वह पुराने दिन वह पुरानी यादें समेटे हुए गांव के सीनियर सिटीजन अजैब  सिंह जोकि एक उच्च पद से रिटायर हुए हैं का मानना है कि चौपाल में बैठकर बुजुर्ग अपना अच्छा खासा समय व्यतीत कर सकते हैं क्योंकि आपसी मेलजोल से ही आज के टेंशन भरे युग में अगर हम लोग एक दूसरे से बातचीत नहीं करते तो अधिकतर लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। पहले समय में ऐसा नहीं होता था बुजुर्ग सुबह जल्दी उठ कर अपने खेतों में सारा काम निपटा लेते थे और घर से नाश्ता करके चौपाल में आकर बैठ जाते  थे. बड़े पेड़ के नीचे एक तो खुले में ठंडी हवा ऊपर से आपस में बातचीत करना बहुत ही फायदेमंद सिद्ध होता था। 

अब यह बातें सब महसूस हो रही है इसी को मद्देनजर रखते हुए गांव के युवा जसपाल सिंह पाली जिन की धर्म पत्नी कुलविंदर कौर डेराबस्सी नगर कौंसिल में वार्ड नंबर 17 से एमसी भी है ने मिलकर यह कार्य शुरू किया है।  साथ ही वहां के बाशिंदे करनैल सिंह,उधम सिंह,कर्म सिंह,सुरजन सिंह,मलकीत सिंह,परमजीत सिंह और जसबीर सिंह अपना सहयोग दे रहे है। जहां किसी जमाने में चौपाल होती थी उस स्थान को नए सिरे से बनाए जाने का कार्य शुरू किया गया है। चारों तरफ सफाई अभियान चलाया गया है और उसको वही पुरानी लुक देकर बनाया जा रहा है। जसपाल सिंह पाली का कहना है उन्होंने गांव के अन्य युवाओं को साथ मिलाकर इस कार्य की शुरुआत की है। जरूरी नहीं कि चौपाल में बुजुर्ग ही आकर बैठे गांव के युवा भी वहां आएंगे क्योंकि हम लोगों ने चौपाल के बारे में बहुत सी कहानियां सुनी हुई है। अब तो सब लोग अपने अपने कामों में व्यस्त रहते हैं काम पहले भी लोग करते थे अब से ज्यादा मेहनत करते थे और आपसी भाईचारा भी पहले बहुत होता था। कारण एक ही था कि लोग चौपाल में बैठकर अपने दुख दर्द भी साझा कर लेते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा हम यहां पर पिछले कई दिनों से इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं और इसके लिए सभी से निवेदन भी कर रहे हैं कि जब चौपाल तैयार हो जाए तो आइए यहां पर और अपना समय व्यतीत कीजिए जिससे कि आपकी टेंशन भरी जिंदगी को कुछ सुकून मिल सके। 

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