बहनों और भाईयो BINACA GEETMALA का प्रसारण क्यों RADIO CEYLON (SRI LANKA) से शुरू हुआ था

 BINACA GEETMALA का प्रसारण क्यों RADIO CEYLON (SRI LANKA) से शुरू हुआ था 


हिंदी सिनेमा के गीत रेडियो पर खूब बजते थे लेकिन अचानक इसके ऊपर ऑल इंडिया रेडियो ने प्रतिबंध लगा दिया।आज आपको बताते हैं कि इससे पहले भी हिंदी फ़िल्म संगीत के ऊपर ऑल इंडिया रेडियो ने बैन लगा दिया था और उस का फायदा उठाया रेडियो सिलोन के एक कार्यक्रम जिसका नाम था `बिनाका गीतमाला` शुरू के दौर में जब फिल्में बननी शुरू हुई थी तो गीतों को इतना महत्व नहीं दिया जाता था।  लेकिन धीरे-धीरे इसकी इम्पोर्टेंस  इतनी ज्यादा बढ़ गई कि फिल्मी गीतों के बगैर हिंदी सिनेमा जगत अधूरा सा दिखने लगता था। 

                देश की आजादी के बाद ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना हुई।  उस का पदभार संभाला बी बी केसकर जी ने l उस समय तक ऑल इंडिया रेडियो पर हिंदी फिल्मी गीत सुनाये जाते थे। लेकिन उन्होंने अपना पदभार संभालते ही एक ऐसा निर्णय लिया जिससे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री चौक गई। केसकर जी ने हिंदी फिल्मी गीतों को ऑल इंडिया रेडियो पर प्रसारण  बंद करवा दिया। उनका तर्क था कि इससे हमारी भारतीय संस्कृति प्रदूषित हो जाएगी और लोग शास्त्रीय संगीत को भूल जाएंगे l केसकर जी को ऐसा लगता था कि फिल्मी गीत जिसमें उर्दू भाषा का इस्तेमाल भी होता है उससे कामुकता बढ़ती है और इससे पाश्चात्य संगीत को भी प्रोत्साहन मिलता है। वह खुद एक ब्राह्मण परिवार से थे l उनको ऐसा लगता था कि फिल्मी गीतों में गिटार और अन्य पाश्चात्य संगीत वादक जो इस्तेमाल किए जाते हैं।उस से भारतीय  सभ्यता पर भी असर पड़ेगा और बांसुरी, सितार जैसे वादक इस से पिछड़ जाएंगे। उन्होंने एक ऐसा जबरदस्त निर्णय लिया। सन 1952 में ऑल इंडिया रेडियो पर हिंदी फिल्मी गीतों पर  बैन लगा दिया गया। लेकिन कुछ देर के बाद आल इंडिया रेडियो ने हिंदी फिल्मों के गीतों को इस शर्त पर चलाना शुरु कर दिया की गाने की पहले स्क्रीनिंग होगी। उसके बाद गाने के बारे में सिर्फ सिंगर के बारे में ही बताया जाएगा।  गीतकार, संगीतकार यहां तक की फिल्म के बारे में भी नहीं बताया जाता था। कुछ ही समय बाद फिल्मों के निर्माताओं ने निर्णय लिया कि जो कॉन्ट्रैक्ट ऑल इंडिया रेडियो के साथ गीतों का हुआ है उसको रद्द कर दिया गया। इसमें ना तो फिल्म की प्रमोशन होती थी ना गीतकार और संगीतकार की प्रमोशन होती थी। फिल्मों से जुड़े लोग इस बात से काफी खफा थे। वह उस समय इनफॉरमेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री से भी काफी खफा नजर आने लगे थे। 

   प्रतिबंद के कुछ दिनों के बाद ही रेडियो पर केवल क्लासिकल संगीत ही सुनने को मिल रहा था।  हिंदी फिल्मों के गीत अब रेडियो पर नही चलाई जाते थे। इससे सुनने वाले श्रोता बॉलीवुड के गीत नहीं सुन पा रहे थे। उस समय एक विदेशी कंपनी जो कि अमेरिकन थी रेडियो सिलोन।  कोलंबिया स्थित कंपनी ने मौके पर छक्का मारा और मौके का फायदा उठाते हुए इस कंपनी ने भारत के कुछ अनाऊंसर्स  से संपर्क किया और कार्यक्रम बनाने के लिए कहा। उन्होंने अमीन सियानी उनके भाई हामिद सियानी, गोपाल शर्मा, हसन रिजवी, सुनील दत्त कामिनी को हायर किया गया। फिल्मों में आने से पहले सुनील दत्त भी एक एंकर थे इनसे मिलकर एक कार्यक्रम तैयार किया गया। जिसका नाम था बिनाका गीतमाला। आज भी लोग बिनाका गीतमाला के बारे में जरूर जानकारी रखते हैं। जल्द ही यह शो इतना पॉपुलर हो गया कि लोग इसका ब्रॉडकास्टिंग का इंतजार करते थे।  बुधवार को 8:00 बजे का समय का इंतजार करते थे।
                       बिनाका गीतमाला में उस समय टॉप सोंग्स को रखा जाता था जो सुपरहिट होते थे।  गीतों के बारे में पूरी जानकारी दी जाती थी। गीतकार के बारे में संगीतकार के बारे में फिल्म के बारे में और सिंगर  के बारे में यहां तक की फिल्म के बारे में भी काफी डिटेल में बताया जाता था। कार्यक्रम में फिल्मों से जुड़े हुए लोग उनके इंटरव्यूज भी किए जाते थे। दोस्तो आपको याद होगा कि रामायण और महाभारत के प्रसारण के समय सड़कें सुनसान हो जाती थी। जब  बिनाका गीतमाला का प्रसारण होता था तब भी ऐसा ही होता था.तो लोग अपने रेडियो सेट के ऊपर रेडियो सिलोन को ट्यून किया करते थे। बड़ा जबरदस्त क्रेज था उस समय बिनाका गीतमाला को लेकर इस शो को। अमीन सयानी होस्ट करते थे /यह एक घंटे के कार्यक्रम में पॉपुलेरिटी के हिसाब से ऊपर से ले कर निचे तक के  गीत प्रसारित किए जाते थे। यह कार्यक्रम इतना फेमस हुआ कि बुधवार को बिनाका गीतमाला डे के नाम से पुकारे जाना लग।  प्रोग्राम इतना पॉपुलर हो गया कि ऑल इंडिया रेडियो को भी सन 1957 में प्रतिबंध को हटाना पड़ा और इसी तर्ज पर एक प्रोग्राम तैयार किया गया।  जिसमें फिल्मी गीतों को प्रसारित किया जाता था यह कार्यक्रम भी फेमस हो गया। विविध भारती का प्रसारण शुरू हुआ। इस कार्यक्रम के एंकर भी अमीन साहनी ही थे। 1967 में विविध भारती काफी प्रसिद्ध हो गया था और बीच-बीच में विज्ञापन भी चलने शुर हो गए थे। 1970 तक तो विविध भारती हर घर में प्रवेश कर चुका था। कार्यक्रम में नए और पुराने फिल्मी गीत सुनाए जाते थे।  हमें उम्मीद है कि आपको रेडियो के इस सफर के बारे में कुछ नया जानने को जरूर मिला होगा। 

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