सुर संगम, पंचकूला द्वारा सुप्रसिद्ध गायक मुकेश को दी संगीतमयी श्रद्धांजलि

 सुर संगम, पंचकूला द्वारा सुप्रसिद्ध गायक मुकेश को दी संगीतमयी श्रद्धांजलि



गायकों ने मुकेश के एक से बढ़कर एक सदाबहार गानों की प्रस्तुति देकर मचाई धूम, श्रोता हुए मंत्रमुग्ध


· मैं न भूलूंगा, धीरे-धीरे बोल, कभी कभी मेरे दिल में जैसे मुकेश के सुपरहिट सदाबहार फिल्मी गानों से गूंजमय हुआ टैगोर थियेटर


पंचकूला , 27 अगस्त 2025: सुर संगम, पंचकूला द्वारा सुप्रसिद्ध गायक मुकेश जी की पुण्यतिथि के अवसर पर संगीत प्रेमियों के लिए एक विशेष संगीतमय संध्या "रिमेम्बरिंग मुकेश: मैं ना भूलूंगा" का पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस, सेक्टर 1 में आयोजन किया गया। इसमें पंचकूला, चंडीगढ़, पिंजौर, पटियाला, करनाल के कुशल गायकों ने सुप्रसिद्ध गायक स्व. मुकेश के बेहतरीन व सदाबहार गानों को कराओके के माध्यम से गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन में 16 वर्ष से 66 वर्ष आयु वर्ग के 25 गायकों ने हिस्सा लिया और एकल व जोड़ी में अपना गायन श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसे सभी श्रोताओं ने खूब सराहा।


इस अवसर पर सुर संगम, पंचकूला के फाउंडर व कार्यक्रम के आयोजक डॉ. प्रदीप भारद्वाज के साथ कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि के तौर पर जगदीप ढांडा (एचसीएस) और विशिष्ट अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बेनु राव उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आगाज दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसके उपरांत कुशल गायकों द्वारा मुकेश के गाए गए सदाबहार फिल्मी गाने कराओके के माध्यम से गाए गए। कुशल गायकों ने मुकेश के गाए गए गानों को अपनी आवाज में प्रस्तुत करने का एक बेहतर प्रयास किया। कार्यक्रम में कुल 30 सदाबहार फिल्मी गाने शामिल थे।


कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सुर संगम, पंचकूला के फाउंडर डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने अपने गायन में "मैं न भूलूंगा”; “जिस गली में तेरा घर" और "तौबा ये मतवाली चाल" जैसे गीत गाकर वातावरण को भावुक बना दिया। जगदीप धंडा ने "धीरे-धीरे बोल”, “महबूब मेरे" और "क्या खूब लगती हो" पेश कर दर्शकों की तालियां बटोरीं। डॉ. रोज़ी अनेजा ने "चंदन सा बदन" और "एक प्यार का नग़मा है" गीत से संध्या को सुरमयी रंग दिया।


डॉ. राजू धीर ने "भूली हुई यादों" और "संसार है एक नदीया" से श्रोताओं को पुरानी यादों में ले गए। डॉ. धीरज बडियाल ने "जाने कहां गए वो दिन" सुनाकर तालियां पाईं। डॉ. महेश मेहरा ने "कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़े" और "कभी कभी" से दिलों को छू लिया।


इसके अलावा, डॉ. के.बी. मेहता ने "मैं पल दो पल का" और "कहीं दूर जब दिन ढल जाए" प्रस्तुत किया। अशोक दत्त ने "जोशे जवानी है रे" गाकर जोश भर दिया। रानी सुमन ने "ओ मेरे सनम" गाया। राजीव वर्मा ने "तारों में सजके अपना सूरज" पेश किया, वहीं कुलदीप ने "जो तुमको हो पसंद" गाकर श्रोताओं का दिल जीता।


संजीव कौडा और आर.सी. दास ने भी अपनी प्रस्तुतियों से कार्यक्रम को यादगार बनाया। नैंसी ने "मैं न भूलूंगा" गाकर संध्या का भावुक समापन किया।


सुर संगम, पंचकूला के फाउंडर डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने इस अवसर पर कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य कला व संस्कृति को बढ़ावा देना तथा गायकों को मंच प्रदान करना था, ताकि वे अपने अंदर के टैलेंट को उभार सकें। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में सदाबहार गानों को गाना प्रतिष्ठित गायक मुकेश को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देना भी था।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने