वर्ल्ड एंटीमाइक्रोबॉयल अवेयरनेस वीक (विश्व रोगाणुरोधी
जागरूकता सप्ताह) (डब्ल्यूएएडब्ल्यू) को 18 से 24 नवंबर तक फोर्टिस
हॉस्पिटल में मनाया गया। इसका उद्देश्य ग्लोबल एंटीमाइक्रोबॉयल रजिस्टेंस
(वैश्विक प्रतिरोधी रोगाणुरोधी प्रतिरोध) (एएमआर) के बारे में जागरूकता
बढ़ाना था ताकि दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के उभार और प्रसार से बचा जा सके।
डॉ.शिवानी
जुनेजा, अटेंडेड कंसल्टेंट, फार्माकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली ने कहा
कि ‘‘कोविड-19 महामारी के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग से
रोगाणुरोधी प्रतिरोध का त्वरित प्रसार हो सकता है। कोविड-19 एक वायरस के
कारण होता है, न कि जीवाणुओं द्वारा, और इसलिए, वायरल संक्रमण को रोकने या
इसका इलाज करने के लिए एंटी-बैक्टीरियल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, जब
तक कि जीवाणु संक्रमण भी मौजूद न हों। इसलिए, एक डॉक्टर की प्रिसक्रिप्शन
के बिना एंटीमाइकोबॉयल लेना न केवल एंटीमाइक्रोबॉयल प्रतिरोध को बढ़ावा
देगा, बल्कि महत्वपूर्ण प्रतिकूल दवा के प्रभाव, उच्च लागत और जटिलताओं से
भी जुड़ा हो सकता है।’’
डॉ.
जुनेजा ने कहा, एंटीमाइक्रोबॉयल्स, जिसमें एंटीबायोटिक्स शामिल हैं,
दुनिया के अधिकांश हिस्सों में हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स द्वारा
प्रिसक्रिप्शन के बिना बेचे जाते हैं। इस प्रक्रिया का स्तर और प्रभाव
अज्ञात है। रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) तब होता है जब बैक्टीरिया, फंगी,
वायरस उन्हें मारने के लिए बनाई गई दवाओं को हराने की क्षमता विकसित करते
हैं। इस प्रकार, आम संक्रमणों का इलाज करना कठिन हो जाता है और जिससे
बीमारी के प्रसार और गंभीरता का खतरा बढ़ जाता है।
डॉक्टर
ने कहा कि एंटीमाइक्रोबॉयल्स ऐसे एजेंट हैं जो मनुष्यों, जानवरों और पौधों
में बीमारियों के इलाज के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हैं। रोगाणुरोधी का
दुरुपयोग और अति प्रयोग दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों के विकास के लिए
महत्वपूर्ण कारक हैं। काउंटर उपयोग से अधिक गरीब चिकित्सा पद्धतियों, और
उपचार के लिए रोगी पालन भी एएमआर में योगदान देता है। अक्सर वे गलत तरीके
से उन बीमारियों के लिए निर्धारित होते हैं या उचित चिकित्सा निरीक्षण के
बिना लिए जाते हैं।
डॉ.शिवानी
जुनेजा ने कहा कि ‘‘हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है और एएमआर के विकास और
दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों के प्रसार को धीमा करने के लिए आपस में सर्वोत्तम
प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करना है।’’
