Father's Day Zee Tv: Tujhse Hai Raabta: Sehban Azim ने याद किया बाप-बेटे का वो भावुक पल जिसने बदली उनकी जिंदगी The filmwala

Father's Day Zee Tv: Tujhse Hai Raabta: Sehban Azim ने याद किया बाप-बेटे का वो भावुक पल जिसने बदली उनकी जिंदगी
 

फादर्स डे पर सेहबान अज़ीम ने याद किया बाप-बेटे का वो भावुक पल जिसने बदली उनकी जिंदगी
   ज़ी  टीवी  के  पॉपुलर  फिक्शन  शो  तुझसे  है  राब्ता  ने  अपनी  दिलचस्प  कहानी  और  अपने  लीड सितारों  रीम  शेख  (कल्याणी)  और  सेहबान  अज़ीम  (मल्हार)  की  बेहतरीन  परफॉर्मेंस  से  सभी  का दिल जीत लिया है। इन दोनों प्यार से ‘कलमा‘ बुलाया जाता है जो इस भारतीय टेलीविजन की सबसे चहेती जोड़ियों में से एक मानी जाती है। जहां सभी ने छोटे पर्दे पर उनकी परफॉर्मेंस को हमेशा एंजॉय किया है, वहीं कोविड-19 संक्रम ा के चलते देश भर में जारी लॉकडाउन की वजह से इस शो की शूटिंग भी रुकी हुई है। जहां इस वक्त हमारे पास आत्मनिरीक्ष ा का काफी समय है  और  साथ  ही  फादर्स  डे  भी  नजदीक  है,  तो  ऐसे  में  एक्टर  सेहबान  अज़ीम  ने  इस  मौके  पर अपने  बचपन  की  एक  खूबसूरत  याद  ताजा  की,  जब  उनके  पिता  ने  एक  मुश्किल  दौर  में  उनका साथ दिया था। यह एक्टर बताते हैं कि इस एक घटना ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी थी।

 सेहबान  ने  यह  भी  बताया  कि  उन्हें  क्यों  लगता  है  कि  उनके  पिता  बाकी  लोगों  से  अलग  थे। उन्होंने  उस  वक्त  को  याद  किया  जब  क्लास  में  अच्छा  प्रदर्शन  न  करने  के  कार ा  उनकी  टीचर उन्हें बार-बार नीचा दिखाती थी और इस वजह से उन्हें बीच सत्र में ही स्कूल छोड़ना पड़ा था। सेहबान  ने  बताया,  ‘‘एक  दिन  उन्होंने  मेरे  पिता  से  कहा  कि  मैं  बहुत  कमजोर  स्टूडेंट  हूं  और  वो मुझ  पर  अपना पैसा बर्बाद  कर  रहे  हैं।  उस  एक  वक्त  मैंने  अपने  पिता को  साफ  तौर  पर  गुस्सा होते  हुए  देखा।  वो  टीचर  से  यह  कहते  हुए  लड़  रहे  थे  कि  समस्या  मुझमें  नहीं  बल्कि  उनके पढ़ाने के तरीके में हो सकती है। यदि वो बच्चों की क्षमता को नहीं समझ सकते तो कमी उनमें हैं। इसके बाद वो मुझे प्रिंसिपल के पास ले गए,  उस टीचर के खिलाफ शिकायत की और वहां से  लीविंग  सर्टिफिकेट  ले  लिया  और  मेरे  मिड  टर्म  के  दौरान  ही  स्थायी  तौर  पर  मेरा  वो  स्कूल छुड़वा दिया।‘‘

सेहबान  गर्व  से  यह  भी  बताते  हैं  कि  उनके  पिता  उस  समय  से  बहुत  आगे  की  सोच  रखते  थे और  अपने  बच्चों  को  सपोर्ट  करने  के  लिए  हमेशा  उत्साहित  रहते  थे।  सेहबान  बताते  हैं,  ‘‘मेरी टीचर  ने  तो  मुझे  लगभग  यह  मानने  पर  मजबूर  कर  दिया  था  कि  मैं  किसी  भी  चीज  में  अच्छा नहीं  हूं  जबकि  मैं  बेहतर  प्रदर्शन  करने  के  लिए  अपनी  पूरी  कोशिश  कर  रहा  था।  मुझे  लगता  है कि यदि उस दिन मेरे पिता ने भी मुझसे हार मान ली होती तो मैं आज एक शिक्षित आदमी नहीं होता। मेरे साथ उनके खड़े रहने से मुझे उस ख्याल से बाहर आने का आत्मविश्वास मिला कि मैं

किसी  काम  का  नहीं  हूं।  मैं  कभी  होनहार  विद्यार्थी  नहीं  था,  लेकिन  शुक्र  है  मेरे  दूसरे  टीचर्स समझदार  थे  और  इसकी  वजह  से  मैं  अपना  ग्रेजुएशन  पूरा  कर  पाया।  मेरे  लिए  सबसे  ज्यादा चैंकाने वाली बात वो थी जब मैं बड़ा हुआ और अपने पिछले स्कूल के सहपाठियों से मिला। तब मुझे पता चला कि मैं अकेला नहीं था जिसे उस टीचर ने नीचा दिखाया और हतोत्साहित किया था। मुझे इस बात की खुशी है कि उस वक्त मेरे पिता ने एक सही फैसला लिया। यह मेरे लिए जिंदगी बदल देने वाला पल था  और  वो भी  उम्र  के इतने शुरुआती दौर  में।  ऐसा कोई  भी  दिन नहीं जाता जब मैं उनके बारे में नहीं सोचता।‘‘

सेहबान  ने  यह  भी  बताया  कि  इस  फादर्स  डे  सभी  को  अपने  पिता  का  शुक्रगुजार  होना  चाहिए और वो जहां भी हों, उन्हें गर्व महसूस कराना चाहिए।

तो आप भी सेहबान अज़ीम को एक बार फिर एसीपी मल्हार के रोल में देखने के लिए तैयार हो जाइए। देखते रहिए ज़ी टीवी क्योंकि जल्द ही लौटेगा तुझसे है राब्ता!

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