अपने राज्य की संस्कृति को बुलंदियों तक पहुंचने के लिए लोग बहुत बातें किया करते है। लेकिन सिर्फ बातें ही रह जाती है। इस के लिए आप को बहुत बड़ा संघर्ष करना पड़ता है। अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। इस के नतीजे भी बहुत देर बाद मिलते है। जीवन में इसी संकल्प को लेकर आगे बढ़ने वाला सिर्फ एक सख्श।दीप लाल भारद्वाज।
हिमाचल प्रदेश में हिमाचल एकता मंच कोई परिचय का मोहताज नहीं है .हिमाचल एकता मंच अपने आप में एक ऐसा मंच बन चुका है जो संगीत के साथ-साथ शिक्षा, महिला उत्थान, समाज सेवा, योगा चिकित्सा सभी प्रतिभा को सम्मानित करता आ रहा है। नए हुनरमंद को मंच देना, बहुत से ऐसे कार्य हैं जो हिमाचल एकता मंच कर रहा है। हिमाचल प्रदेश में हिमाचल एकता मंच कोई परिचय का मोहताज नहीं है अब बात करते हैं उस सख्श की जिस ने इस मंच को इतनी बुलंदी तक पहुंचाया। हिमाचल एकता मंच के चेयरमैन दीप लाल भारद्वाज।
दीप लाल भारद्वाज का जन्म जिला कुल्लू के कटराई पंचायत में छानी नामक गांव में एक गरीब परिवार में हुआ। वह बचपन से ही मेहनती व कला के माहिर थे। वह बचपन में दूसरों के खेतों में काम करने जाते थे। सुबह शाम काम करके दिन में स्कूल में पढ़ाई करते थे। पिता जहां सीधे-साधे स्वभाव के व्यक्ति थे वही माता घर की जिम्मेदारी बाखूबी से संभालती थी। बचपन से ही समाज सेवा और संगीत का शौक रखने के कारण इन्होंने स्कूल में ही म्यूजिक में हिस्सा लेना शुरू किया। खेलों में भी हिस्सा लेते थे। साथ ही टूर्नामेंट में हिस्सा लेते गए और स्कूल के लिए भी काफी इनाम जीते।
भारद्वाज ने बताया कि प्राइमरी में उन्हें उषा मैडम, चंपा मैडम, ज्वाला मैडम व रामेश्वरी मैडम का व गोपाल मुख्य अध्यापक का काफी सहयोग रहा,जो समय-समय पर इनकी कामयाबी का हिस्सा बनी। जब छठी कक्षा में थे उस समय पीटीआई अध्यापक मनोहर ठाकुर व नरान्तक शर्मा का काफी सहयोग रहा और लोक नृत्य, नाटक, समूह गान व् भाषण में स्कूल की तरफ से जिला राज्य व राष्ट्रीय स्तर तक अपने हुनर को दिखाने में कामयाब रहे।
स्कूल टाइम में ही मात्र 13 साल की उम्र में गांव का युवक मंडल तैयार किया। जगह-जगह जिला राज्य व राष्ट्रीय स्तर तक अपने साथ-साथ गांव जिला व राज्य का नाम रोशन किया। लोक संपर्क विभाग व नेहरू युवा केंद्र के सौजन्य से भी काफी कार्यक्रम किए और बहुत सारे इनाम भी जीते। पत्रकारिता में भी काम किया। उसके बाद कुछ बड़ा करने की सोच कर ओर जा पहुंचे चंडीगढ़ अनुपम खेर के थिएटर में 3 साल थिएटर भी सीखा। साथ में जॉनी लीवर के साथ भी काम करने का इन्हें मौका मिला।जिन्होंने इनकी लगन और मेहनत को देखते हुए मुंबई में काम करने का ऑफर दिया। किसी कारणवश वहां नहीं जा पाए। सबसे बड़ा कारण यह भी था कि गरीबी के कारण थोड़ी दिक्कत तो आती ही है।
मुंबई से वापस आकर संगीत सेंटर खोला और पूरे हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा व जम्मू कश्मीर में डिस्ट्रीब्यूटर बन गए। इनके जीवन काफी कठिनाइयों भरा रहा। लेकिन यह ना तो कभी अपने काम से पीछे हटे और ना ही कठिनाइयों से घबराए . धीरे धीरे चलते रहे और अब सैकड़ों ऑडियो कैसेट, वीडियो कैसेट व फिल्मों में बतौर गीतकार, संगीतकार निर्देशक, संपादक, कैमरामैन निर्माता काम कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने हिमाचल एकता मंच का गठन किया और आज पूरे हिमाचल के साथ-साथ पूरे देश में एक अलग पहचान बन चुके हैं।
दीप लाल भारद्वाज द्वारा हिमाचल एकता मंच जो कि क्षेत्र में काफी सक्रिय है। समय-समय पर कुछ ना कुछ कार्यक्रम किए जाते हैं कला को आगे बढ़ाने के लिए। वह नए उभरते कलाकारों को अपने मंच द्वारा मौका देते रहते हैं। लॉकडाउन के दौरान भी वह उभरते हुए कलाकारों के लिए कभी सिंगिंग, कभी मॉडलिंग की और कभी डांस की प्रतियोगिताएं करवा रहे हैं। अभी हिमाचल एकता मंच द्वारा नॉन स्टॉप पहाड़ी नाटियां जिसका टाइटल रखा है `हम रहे ना रहे' जिसमें एक्टर पूजा ने काम किया है। इसमें भी दीप लाल भारद्वाज ने नाटिया गई हैं। इसी वर्ष गायिका संतोष डोगरा की आवाज में नवरात्रों के अवसर पर मां हाटेश्वरी के भजनो का संग्रह प्रस्तुत किया गया था। जिसमें प्रस्तुति के अलावा संगीत भी दीप लाल भारद्वाज ने दिया था।
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