रफ़ी साहब ने पंजाबी फिल्मों में भी यादगार गीत गाए है।


Mohammad Rafi's contribution to Punjabi cinema




देश की आजादी के बाद Punjabi Film Industry  में Mohammad Rafi ने अपने गीतों द्वारा कई दशक तक राज किया है। बहुत कम ऐसी फिल्में बनी थी जिसमें रफी साहब का कोई गीत ना हो।   
रफी साहब हमारे बीच नहीं है लेकिन आज भी उनकी फैन फॉलोइंग कम नहीं हुई। जितनी पहले थी उससे कहीं ज्यादा और बड़ी है। यहां भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में रफी साहब के गीतों के आज भी लोग दीवाने है।आज भी डंका बजता है। रफी साहब ने जहां हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को हजारों सुपरहिट गीत दिए हैं वहीं उन्होंने पंजाबी फिल्मों में भी बहुत सारे ऐसे नगमे गाए हैं जो एक यादगार बन गए हैं। रफी साहब ने लगभग 250 के करीब पंजाबी गीत गाए हैं। क्योंकि वह खुद पंजाब से थे। वह अमृतसर के नजदीक गांव कोटला सुल्तान सिंह में रहते थे। उनकी पंजाबी बिल्कुल शुद्ध होती थी और गाने में भी उनको कोई मुश्किल नहीं होती थी। बात करें तो उनके सुपरहिट गीतों की तो पंजाबी में बहुत सारे ऐसे गीत हैं जो रफी साहब ने सोलो और ड्यूटी गाय हैं। उन्होंने शमशाद बेगम, लता मंगेशकर, आशा भोंसले,सुमनकल्यानपुर और उषा तिमोथी के साथ कई गीत गए है।  
 1949 में आई पंजाबी फिल्म lachhi राजेंद्र शर्मा द्वारा डायरेक्ट की गई और Hans raj behal द्वारा इस फिल्म में संगीत दिया गया था।  फिल्म के कलाकारों में वसति, मनोरमा, रणधीर, मजनू।सोफिया और ओमप्रकाश थे।फिल्म में रफ़ी  साहब और लता मंगेशकर का गाया dute काली कंघी नाल काले वाल पई वाहनीआं काफी मशहूर हुआ था। 
1954 में आयी फिल्म अष्ताली जिस में रफ़ी साहब ने गीत गया था`तेरी बने न कोई भरजाई" . दाना पानी खींच के लियांदा कौन किसे दा  खांदा। तू पिंग ते मैं परछांवां तेरे नाल हुलारे खांवां। 
 1959 आई पंजाबी फिल्म `Bhangra" के निर्माता थे मुलख राज भाखडी और जिसके निर्देशक थे जुगल किशोर। फिल्म के सारे ही गीत सुपरहिट थे। मोहम्मद रफी और शमशाद बेगम की आवाज में इस फिल्म के एक से बढ़कर एक गीत उस समय सबकी जुबान पर गुनगुनाए जाते थे और गाए जाते थे। आज भी उन गीतों को  लोग याद करते हैं। फिल्म का गीत `चिट्टे दंद  हसनों नहियों रेह्न्दे के लोकि पहड़े शक करदे " या फिर रब ना करें के चला जाएं। `जट्ट कुड़ियां तो दर्द मारा।
 1960 में एक और पंजाबी फिल्म आई थी चौधरी करनैल सिंह।  यह फिल्म प्रेम चोपड़ा साहब की पहली  फिल्म थी। इसमें रफी साहब के गीत `हरिया पैलियाँ भरिय पैलियाँ , बोलियां पौंदा  जावे ' या फिर इस फिल्म की रफी साहब की आशा भोसले के साथ कव्वाली `प्यार पाना सोखा  ते निभाना औखा " बहुत ही मकबूल हुए थे। फिल्म का एक और बहुत ही लोकप्रिय गीत रफी साहब ने गाया था जो कि बेटी की विदाई के ऊपर फिल्माया गया था `घर बाबुल दा छड़  के धीये 'फिल्म का संगीत हंसराज पापे ने दिया था।  
  रफी साहब के पंजाबी गीतों में एक और बहुत बड़ी खूबी नजर आई थी जिस तरह से हिंदी फिल्मों में शम्मी कपूर जब फिल्म में काम करते थे और उनके ऊपर रफी साहब का गीत फिल्माया जाता था तो वह एक अलग अंदाज होता था ऐसा लगता था कि शम्मी कपूर खुद वह गीत गा रहे हैं या गुरुदत्त साहब के ऊपर कोई सैड सॉन्ग फिल्माया जाता तो ऐसा लगता था कि गुरुदत्त साहब खुद इसके ऊपर जा रहे हैं यह क्या लिखी कि उनकी अपनी आवाज है इसी तरह से पंजाबी फुल मूवी रफी साहब ने हर तरह के संजीता भी रोमांटिक भी और कॉमिक यानी जो पंजाबी फिल्मों में कॉमेडियन होते थे उनके ऊपर भी बहुत सारे गीत गाए गए हैं पंजाबी फिल्मों में कॉमेडियन के बगैर उस समय फिल्में बहुत ही कम चलती थी।  
 सन 1965 में आई पंजाबी फिल्म शौकन मेले दी।  पंजाब के सुप्रसिद्ध कवि शिवकुमार बटालवी की लिखी हुई रचना गई थी। उनका मशहूर गीत `जाच मैनु आ गई ग़म खान दी" .  जे मैं जाणादि जगे मर जाना 'यह गीत फिल्म जग्गा का है और इस गीत को भी रफ़ी साहब ने गया था। 
  महेश्वरी बंधुओं द्वारा बनाई गई फिल्म `नानक नाम जहाज है 'जो  15 अप्रैल सन 1969 को रिलीज हुई थी. वह पंजाबी सिनेमा की एक मील का पत्थर फिल्म साबित हुई थी और सबसे पहली पंजाबी फिल्म थी जो सब से ज्यादा देखि गई थी। उस फिल्म में रफी साहब का गाया हुआ शब्द `मित्र प्यारे नू हाल मुरीदा दा कहना "आज भी उतना ही मकबूल है जितना उस समय था। पंजाबी धार्मिक फिल्मो में रफ़ी साहब के शब्द लगभग हर फिल्म में होता था। नानक नाम जहाज है,नानक दुखिया सब संसार,गुरु मान्यो ग्रन्थ,मन जीते जग जीत,दुःख भंजन तेरा नाम,ध्यानु भगत,भगत धन्ना जट्ट,सवा लाख से एक लड़ाऊँ जैसी और भी कई फिल्मे थी। 
1971 में आयी पंजाबी फिल्म `कणकाँ दे ओहले" में भी रफ़ी साहब का गीत `नी चम्बे दिए डालिये नी "इस गीत में रफ़ी साहब का साथ दिया था उषा तिमोथी ने। फिल्म के निर्माता थे जगदीश गार्गी और डायरेक्टर थे ओम बेदी। फिल्म में मुख्या कलाकार थे रविंदर कपूर,इंदिरा,जीवन। फिल्म में धरमिंदर और आशा पारीख भी ख़ास भूमिका में थे। धरमिंदर के ऊपर भी रफ़ी साहब का गीत `हाय नई मैं सदके "फिल्माया गया था। 
 1981 बनी पंजाबी फिल्म `चन परदेसी " में भी रफ़ी साहब का पंजाबी गीत जो की कुलभूषण खरबंदा के ऊपर फिल्माया गया था. `ना रूस हीरे मेरिये मैं रांझन तेरा " और एक अन्य गीत जो डोली का गीत था `माये नई ना वट पुनियाँ "बहुत ही मकबूल हुआ था। चित्रथ सिंह द्वारा डाइरेक्ट की गई इस फिल्म में संगीत सुरिंदर कोहली का था.फिल्म में राज बब्बर,रमा विज,कुलभूषण खरबंदा,अमरीश पूरी और ओम पूरी थे। इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने