अपनी माटी से जुड़े Superhit Kumaoni Singer Anand Singh Koranga
600 से अधिक गीत गए
वाईपीईएस चौहान
शिखर हिमालय की गोद और अपने गांव की माटी की सोंधी महक को संगीत के माध्यम से दुनियां में फैलाया और अपने कला और संस्कृति को बचाने के लिए हमेशा ही अग्रसर रहे है। अपने गीतों से बच्चों से लेकर वृद श्रोताओं को जोड़ कर रखना बहुत बड़ी बात होती है। आज हम बात कर रहे है जानेमानी कुमाऊंनी गायक आनंद सिंह कोरंगा (Anand Singh Koranga) की।
आनंद सिंह कोरंगा गांव-भनार देबुलागैर, पोस्ट ओफिस- भानर,जिला - बागेश्वर, उत्तराखंड के रहनेवाले है। जब 9 वर्ष के थे तो उनको थोड़ा गाने का शौक था। इनके चाचा कुंवर सिंह कोरंगा ने इनके इस शौक को पहचानाl इनके चाचा को खुद भी संगीत में शौक था और हारमोनियम इत्यादि अच्छा खासा बजा लेते थे। चाचा को आनंद सिंह कोरंगा के टैलेंट के बारे जानने और पहचानने में कोई मुश्किल नहीं हुई। उनको लगा कि यह बच्चा संगीत की दुनिया में कुछ कर सकता है तो उन्होंने जब भी समय मिलता संगीत की बारीकियां और रागों के बारे में जानकारी देनी शुरु कर दी। कुछ समय बाद आनंद सिंह कोरंगा वहां आसपास के गांव में जो कार्यक्रम होते थे तो उन्हें अपनी गायकी की प्रस्तुति करते थे। वह बताते हैं कि उनके वही श्यामा गांव है वहां पर और उसके आसपास उनके चाचा जी उनको वहां ले जाते थे और कार्यक्रमों में हिस्सा लेते थे। खासियत यह थी कि उस बाजार में जब हर वर्ष रामलीला का आयोजन किया जाता था तो आनंद सिंह कोरंगा अपनी माता जी के साथ रामलीला देखने जाया करते थे। क्योंकि उनके चाचा भी उस रामलीला का एक सदस्य थे। चाचा को पूरा यकीं था कि आनंद सिंह एक बहुत बढ़िया गायक बनेगा। तो तो चाचा जी ने रामलीला में मुझे गाने का मौका दिलवाया ll
फिर रामलीला में सीता का किरदार भी करना शुरू कर दिया था और उस रामलीला में पर्दे के पीछे से भी जो भजन गाए जाते थे तो वह आनंद सिंह कोरंगा ही गाते थे। वह बताते हैं कि हमारे यहां गांव में उस समय जो रामलीला का मंचन किया जाता था वह शहरों की तरह नहीं होता था। क्योंकि शहरों में 3 या 4 घंटे की रामलीला का आयोजन होता है। 8:00 बजे शुरू हुई तो 11:00 बजे तक समापन हो जाता है। लेकिन हमारे यहां ऐसा नहीं होता था। रात को 8:00 बजे से लेकर सुबह 3:00 और 4:00 बजे तक रामलीला का मंचन हुआ करता था। तो उस में अपने गीतों और भजनों द्वारा लोगों को बांध के रखते थेl
उस रामलीला में मुझे सीता का पात्र अदा करने का मौका मिला। रोल करने के साथ-साथ में बैकग्राउंड पर भी अपनी आवाज दिया करता था। दो से तीन गाने का मेरे को मौका मिल जाता था। दरअसल स्कूल में जो बाल सभाएं होती थी वहां पर भी मेरे को गाने का मौका मिलने लगा था। कुछ समय के बाद मै काफी परिचित हो गया था और कुछ ही समय में स्कूल में मेरे बगैर बालसभा अधूरी मानी जाती रही। उसके बाद मेरे को ग्रामीण स्तर पर भी जागरूकता अभियान के लिए चुना गया और मैं अलग-अलग गांव जाकर अपनी आवाज से लोगों को जागरूक करता था। हमारे एक अध्यापक हुआ करते थे राम सिंह कोरंगा उन्हीं की यह चलाई हुई जागरूकता शिक्षा अभियान के अंतर्गत मैं लोगों को अपने गीतों द्वारा जागरूक किया करता था। गांव -गांव जाकर गांव के चौपाल में लोगों को इकट्ठा करके अपने गीतों द्वारा उनको संदेश देता था कि पढ़ो लिखो और आगे बढ़ो। वहां पर मेरे को लोगों का बहुत प्यार मिला। उस समय ग्रामीण लेवल के गायकी के मुकाबले हुआ करते थे। सबसे पहले ग्राम स्तर पर एक -एक प्रतिभागी को चुनकर बुलाया जाता था। ब्लॉक स्तर पर ही मैंने वहां पर टॉप कर लिया था। उसके बाद मेरे को जिला स्तर पर पहुंचने का मौका मिला। क्योंकि हमारे लिए हमारे क्षेत्र में जिला लेवल पर पहुंचना एक बहुत ही बड़ी बात होती थी। मेरे को गायकी का बहुत ही ज्यादा शौक था लेकिन समस्या यह थी कि हम लोगों का क्योंकि हम लोग गरीब किसान थे और सोचा भी नहीं जा सकता था कि इतने बड़े स्तर पर मैं पहुंचगा . जिला स्तर पर पहुंचकर मैंने जब उस मुकाबले में गया तो मेरे को सभी का बहुत प्यार मिला और ढेरों मेरे को तालियां मिली। उसके बाद मेरे को आकाशवाणी अल्मोड़ा में एक गीत गाने का मौका मिला। उस समय मैं नौवीं कक्षा में पढ़ा करता था। कभी रेडियो स्टेशन देखा नहीं था बस रेडियो पर गाने ही सुना करते थे। यह मेरे लिए एक बहुत ही बड़ा अनुभव था।
फिर ऐसे हुई स्ट्रगल शुरू
फिर उसके बाद मेरे को अलग-अलग गांव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आयोजक बुलाने लगे और वहां पर भी मेरे को बहुत सराहा जाता रहा lमेरा बहुत मन करता था कि मैं भी एक गीतों की कैसेट निकालूं। कैसेट निकालने के लिए बहुत पैसे लगते थे और वह पैसे हम लोगों के पास नहीं होते थे। सख्त मेहनत से मैं अपनी धुन में लगा रहा यही सोच कर कि एक ना एक दिन मेहनत रंग लाएगीl मेरे को ऐसा लगने लगा कि मैं गांव में रहकर संगीत में कुछ ज्यादा काम नहीं कर पाऊंगा। तो मैंने धीरे- धीरे अपना मन शहर की ओर जाने के लिए बनाना शुरू किया। उसमें मेरे को कुछ समय जरूर लगा क्योंकि अपनी माटी अपने प्रदेश को छोड़कर जाना बहुत ही मुश्किल कार्य होता है। मेरे को कई लोगों ने कहां की आप गांव में ही रहिए, शहर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। हम सब मिल जल कर यहाँ कार्यक्रम कर लिया करेंगे। लेकिन मेरा मन माना नहीं। मेरे दिमाग में एक ही फितूर था कि मैं एक दिन बहुत बड़ा कलाकार बनना चाहता हूं। मैंने शहर का रुख कर लिया और आ गया चंडीगढ़। वहां पर मेरे चाचा रहते थे मैं उन्हीं के पास रहने लग गया। अब छोटा-मोटा काम भी करना था क्योंकि पैसे भी चाहिए थे। तो चाचा जी ने मेरे को एक दवाइयों की दुकान पर लगवा दिया ताकि मैं कुछ काम करूं और थोड़े पैसे भी कमा लूं . काम करने के साथ-साथ मैंने अपनी गायकी नहीं छोड़ी और ना ही अपना गायकी का लेवल छोड़ा।
ऐसे निकली पहली कैसेट
आनंद कोरंगा बताते है मेरा जो फोकस था वह सिंगिंग का ही था। मेरे एक चचेरा भाई हैं राजू कोरंगा,वह चंडीगढ़ में एक स्टूडियो में काम करते थे। तो उन्होंने मेरे को प्रोत्साहित किया। उसी स्टूडियो में हरीश मंगोली जोकि संगीतकार हैं। वहां रिकॉर्डिंग किया करते थे और मनोज शर्मा रिकॉर्डिस्ट होते थे। तो उन सभी को मेरी आवाज बहुत अच्छी लगती थी। तो प्लान बना कि क्यों ना कैसेट तैयार की जाए। मैंने अपने गीत उनको सुनाये तो हरीश मंगोली जी ने कहा कि यह गीत चल सकते हैं। अगले दिन मेरे गीतों की रिकॉर्डिंग शुरू हो गई। 3 दिन लगे थे रिकॉर्डिंग के लिए। हरीश मंगोली जी ने बहुत मेहनत की,उन्होंने बहुत ही अच्छे लेवल का म्यूजिक दिया। उसके बाद मैं दिल्ली चला गया। मैं दिल्ली में रामा स्टूडियो में गया। मैनेजर से बात हुई तो मैनेजर ने सीधा कंपनी के मालिक के पास भेज दिया। तो मैंने उनको बोला कि मैंने एक रिकॉर्डिंग करनी है तो उन्होंने कहा कि सुनाने के लिए कुछ लाए हो तो मैंने कहा कि मैं लाया तो कुछ नहीं हूं मैं आपको वैसे ही सुना देता हूं। वह बोलने लगे कि बेटा अगर मैं ऐसे सुनने लग गया तो यहां पर तो बहुत लंबी लाइन लग जाएगी। उन्होंने कहा कि कोई मास्टर बना कर लाते तो हम उसको आराम से सुनते। तो उन्होंने यह भी कहा कि हम आपकी आवाज चेक करके फिर आपको बता देंगे कि इसमें कितने पैसे लगेंगे। उस समय एक रिकॉर्डिंग की कैसेट जिसमें 8 गीत हुआ करते थे लगभग 20 से 25 हजार रूपए का खर्चा आ जाता था। मेरे लिए बहुत बड़ी रकम थी।
उस रिकॉर्डिंग को लेकर फिर मैं दोबारा रामा कंपनी में गया और उनको बोला कि सर जी मैं रिकॉर्डिंग करके लाया हूं। मैं उनको सुनाने के लिए एक डम्मी बनाकर लाया था। जैसे ही उन्होंने कैसेट ऑन की और मेरी आवाज कैसेट में से निकलने लगी तो वह एकदम हैरान हो गए और बोले कि क्या यह आपने गाया है। मैंने कहा हां जी फिर बोले सच में बहुत ही अच्छा गाया हुआ है। उन्होंने तुरंत ही मेरे को बोला कि यह कैसेट क्लिक कर सकता है और मैनेजर को बोला कि इस बच्चे को तुरंत ही लेकर जाओ इसके फोटो खिंचवा कर लाओ। उन्होंने तुरंत ही पोस्टर डिजाइन करने वाले को भी वही बुला लिया मेरी फोटो भी खिंचवा ली। उन्होंने अपने स्टाफ को बोला की बाकी सारे काम रोक दो। सबसे पहले यह नए गायक का कैसेट तैयार करो। मुझे अंदर से बड़ी खुशी हुई कि यह तो बहुत अच्छा हो रहा है। उस समय ना तो सोशल मीडिया हुआ करता था ना यूट्यूब वगैरह हुआ करते थे यहां तक कि मोबाइल फोन भी नहीं हुआ करते थे। उस समय यह भी पता नहीं चलता था कि कैसेट चल भी रहा है कहां चल रहा है किसी को कुछ नहीं पता होता था। मेरा केवल उनके पास गांव का एड्रेस ही था। क्योंकि टेलीफोन तो होते ही नहीं थे।
कैसेट सुपरहिट हो गई, कंपनी वाले आनंद सिंह कोरंगा की तलाश में
मैं वापस चंडीगढ़ आ गया। तीन-चार दिन बाद उन्होंने कैसेट को मार्केट में लॉन्च कर दिया। एक हफ्ते के भीतर ही कैसेट सुपर डुपर हिट हो गई। हर जगह कैसेट बजने लग गई। मेरे को तो पता भी नहीं था कि मेरी भी कहीं कैसेट चल रही है l मैंने 1 हफ्ते के बाद गांव जाना था तो मैं गांव जब गया तो हल्द्वानी बस स्टैंड पर जब उतरा तो वहां पर उस जमाने में बस स्टैंड के ऊपर ही केस्टों की दुकानें हुआ करती थी और उन्होंने जो हिट गाने होते थे वह चला कर रखते थे। मेरे कानों में आवाज पड़ी मेरे गानों की मैं बहुत हैरान हुआ कि यह तो मेरे ही गाने बज रहे हैं। कंपनी द्वारा डाक द्वारा मेरे घर वालों को और वहां डीलरों को चिट्ठी लिखी हुई थी कि अगर आपको यह कलाकार कहीं मिले तो उनको उसको तुरंत ही दिल्ली कंपनी में ले जाया जाए। मैं जब वहां पर अपनी आवाज कानो में सुन रहा था तो बहुत हैरान भी हो रहा था और खुशी भी बहुत थी मेरे को। तो मैंने जब दुकान के ऊपर गया तो दुकानदार ने मेरे को तुरंत पहचान लिया और बोला कि तुम तो करूंगा ही हो जिसने यह गीत गाए हैं तो मैंने भी उसको कहा भाई मैं भी वही हूं। तो उसने कहा कि आपको तो दिल्ली में कंपनी वालों ने काफी ढूंढा है और हम लोगों की ड्यूटी भी उन्होंने लगा रखी थी कि जब भी कोरंगा से मुलाकात हो तो उसको तुरंत दिल्ली भेजा जाए। मैं बहुत हैरान हुआ बड़ी खुशी हुई कि क्या करूं मैं अब तो उसने यह कहा कि आप यहां से सीधे दिल्ली के लिए निकल जाओ,आपकी अगली कैसेट की रिकॉर्डिंग करनी है। मैंने कहा मैं अब तो इतनी दूर से अपने घर अपने रिश्तेदारों और माता-पिता को मिलने आया हूं इतना सामान मैंने उठाया हुआ है तो यह तो बड़ा ही एक मुश्किल कार्य है। मैंने कहा नहीं, पहले मैं घर जाऊंगा घर रहूंगा कुछ दिन फिर मैं वापसी के लिए दिल्ली जाऊंगा . वहां पर जो होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर था उसने वहां से किसी लैंडलाइन नंबर से दिल्ली रामा कंपनी के मालिक अजमानी साहब से बात करवा दी तो अजमानी साहब ने जब आनंद कोरंगा की फोन पर आवाज सुनी तो उन्होंने कहा कि तू कहां छुप गया था तुम जल्दी आ जाओ तुम्हारी अगली कैसेट की रिकॉर्डिंग भी हमने करनी है। उन्होंने मेरे को कहा कि जितना भी तेरा आने जाने का जो भी खर्चा होगा हम लोग तेरे को दे देंगे तो फटाफट जल्दी से वहीं से बस पकड़ के दिल्ली आजा।
सिंगर बन गए,सफर शरू हो गया
उधर चंडीगढ़ में भी रिकॉर्डिंग स्टूडियो में हरीश मंगोली संगीतकार रिकॉर्डिस्ट मनोज शर्मा और राजू करूंगा तो जब उनको पता लगा तो सभी तरफ खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। आनंद सिंह कोरंगा बताते हैं कि वह दिल्ली जाने की बजाए चंडीगढ़ वापस आ गए। तो उस समय हरीश हरीश मंगोली और मनोज शर्मा सभी बड़े ही उत्साहित थे कि हमारा किया हुआ काम इतने जबरदस्त तरीके से सुपर डुपर हिट हुआ है क्यों ना दोबारा आनंद सिंह कोरंगा की एक नए सिरे से नए गीतों की रिकॉर्डिंग की जाए। कार्यक्रम यह बना कि क्यों ना किसी दूसरी कंपनी को मास्टर देने की बजाय खुद ही अपनी नई कंपनी बनाकर कैसेट को रिलीज कर दिया जाए। हरीश मंगोली, मनोज शर्मा सभी ने यही डिसाइड किया कि अब दिल्ली नहीं जाना यही सारा काम करेंगे और माल भी हम ही बेचेंगे . उसके बाद ऑडियो रिकॉर्डिंग का काम भी बड़े ही अच्छे तरीके से किया गया और दूसरी कैसेट का मास्टर भी तैयार हो गया। इस कैसेट में ड्यूट सॉन्ग भी थे जोकि हेमा ध्यानी ने गए थे। जो पहली ही कैसेट निकाली थी वह सुपर डुपर हिट कैसेट गई है जिसका नाम था घूंगराली उस गीत ने जबरदस्त तहलका मचा दिया था और यह गीत अभी भी लोग इसको सुनते हैं मेरा कहीं भी कोई कार्यक्रम होता तो सबसे पहले इसी गीत की सबसे ज्यादा डिमांड आती है। दूसरी कैसेट के लिए मनोज शर्मा जी ने कंपनी शुरू कर दी और कैसेट भी बनानी शुरू कर दी थी। सबसे पहले उन्होंने जब माल तैयार किया तो 10 पेटी माल बनाया। जैसे तैसे उत्तराखंड में माल पहुंचाया गया तो उसी समय माल का रिपीट आना शुरू हो गया और उसी समय ही दुकानदारों ने अगले माल का आर्डर भी देना शुरू कर दिया। हालात यह हो गए कि मनोज शर्मा के पास इतना समय नहीं था कि वह माल को तैयार करवा सके।
कैसेट `शिखर हिमालया ' भी बहुत चली उसका माल भी पूरा नहीं हुआ। फिर यह प्रोजेक्ट एक बार फिर रामा कैसेट कंपनी द्वारा रिलीज किया गया। रामा कंपनी ने आनंद सिंह कोरंगा के 2 साल के भीतर ही लगभग 19-20 प्रोजेक्ट निकाल दिए। इसके अलावा आनंद सिंह कोरंगा के प्रोजेक्ट t-series द्वारा निकाले गए थे। इसके अलावा नीलम कंपनी ने भी उनके प्रोजेक्ट निकाले थे.मित्रों, घर वालों का और अपने चाहने वालों का हौसला, प्रोत्साहन बहुत ज्यादा मिला,उसकी वजह से मैं आगे बढ़ता ही चला गया। एक वक्त ऐसा आया था सन 2004 -5 के करीब कि जब ऑडियो सीडी मार्केट में खूब आ गई था और कैसेट की बिक्री बहुत कम हो गई थी। उस समय वीडियो एल्बम भी बनने शुरू हो गए थे। उसमें क्या हुआ कि मेरी आवाज में गाई हुई कैसेट्स, कंपनियों द्वारा वीडियो बनाकर सीडी बेचनी शुरू कर दी थी उससे मेरे को नए प्रोजेक्ट मिलने बंद हो गए। क्योंकि कंपनी वालों ने पुराने गीत जो ऑडियो के रिकॉर्ड किए हुए थे उनके ही वीडियो बनाकर मार्केट में देने शुरू कर दिए थे.मेरे को उस चीज का एक फायदा यह हुआ कि मेरे पहले की तरह कार्यक्रम जो लगते थे उनकी संख्या बढ़ गई थी और लोगों में मेरे जाना अधिक हो गया था। आनंद सिंह कोरंगा बताते हैं कि उनकी म्यूजिशियंस की एक अपनी टीम है और अब तो वह खुद ही कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं।
Social Media पर भी छा गए आनंद सिंह कोरंगा
फिर आया सन 2008 -9 के करीब सोशल मीडिया और यूट्यूब का जमाना। मेरे को भी कुछ समझ में नहीं आई क्या यूट्यूब क्या चीज है। क्योंकि हमारे लिए यह बिल्कुल नई चीज थी और उस पर लोग पैसे कैसे कमाते हैं इसके बारे में भी हमें कोई नॉलेज नहीं थी। मेरा फिर भी यूट्यूब के लिए इंटरेस्ट नहीं बना क्योंकि मेरे को कार्यक्रम ही काफी संख्या में मिलते थे। लोगों के बीच में जाना अच्छा लगता है। वहां अधिक मान और सम्मान मिलता है।
सन 2015 के आसपास एक और कंपनी ने आनंद सिंह कोरंगा को अप्रोच किया और कहा कि आप हमारे लिए चार गीत गाइए। सोचा कि यह कैसे होगा फिर दिमाग में है कि यार चलो कोई बात नहीं है नया सिस्टम है इसमें भी हम अपने आप को आजमाते हैं। मैंने उस कंपनी के लिए गीत गाए और लोगों का रिस्पांस बड़ा जबरदस्त आया। लोग मेरे पास आने शुरू हो गए। मेरे को भी बधाइयां देने लगे कि आप दोबारा मार्केट में आए हो समाज के लिए आप पहले भी बड़े प्रेरणा स्रोत थे आप के गीतों में बहुत कुछ सीखने को मिलता था। तो बधाइयों का तांता लग गया। उसके बाद मेरे मन में ही अंदर से आवाज आई कि अगर मेरे को पब्लिक का इतना जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है तो क्यों ना और नया कुछ किया जाये। एक कंपनी कंपनी थी जो मेरे पुराने जानकार थे। उन्होंने मेरे को दिल्ली बुला लिया। उन्होंने कहा कि हमें एक जॉइंट प्रोजेक्ट शुरू करना है `रौतेली टांडा 'तो मैंने हां कर दी। मैं एक गाना करके आया। गाना मार्केट में आ गया तो मेरे को ऐसा लगा कि मेरे को पब्लिक का बहुत जबरदस्त रिस्पांस मिला है। मेरे को मेरे चाहने वाले मेरे सुनने वाले इतना प्यार करते हैं कि जहां भी जाता हूं वह मेरे को सर आंखों पर बिठा लेते हैं। मेरे को फिर सभी यारों दोस्तों ने कहा कि आप यूट्यूब पर अपना चैनल बनाइए हम आपकी सपोर्ट करेंगे। इसका भी एक बहुत मजेदार किस्सा है। किसी कंपनी ने मेरा एक गाना रिकॉर्ड किया था तो उन्होंने कहा था कि आप जल्द ही इसको हम यूट्यूब चैनल के ऊपर डाल देंगे। एक हफ्ता हो गया 2 हफ्ते हो गए 3 हफ्ते हो गए पूरा महीना ही हो गया। मैं भी इंतजार करता रहा कि यूट्यूब के ऊपर मेरा गीत आएगा। तो गीत जब नहीं आया तो परेशान होकर मैंने निर्णय लिया कि क्यों ना अपना यूट्यूब चैनल बनाया जाए। दिमाग में एक और बात आई कि मेरा चैनल होगा मैं अपनी पसंद का गाया हुआ, गीत लिखा हुआ, गीत अपने हिसाब से ही उसको वहां पर डाल दिया करूंगा तो मेरे मन को बड़ी संतुष्टि होगी। अपने कल्चर को और अपने हुनर को आगे दर्शकों तक पहुंचाने और दिखाने के लिए यह एक बहुत अच्छा जरिया है। बस फिर क्या था। हम लोग शुरू हो गए और मैंने पहला गीत रिकॉर्ड किया और आप मानेंगे नहीं मेरे बेटे ने उसी दिन उस गाने की एडिटिंग करके उसको यूट्यूब चैनल के ऊपर अपलोड भी कर दिया और उस गीत का बड़ा जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला। मेरे एक चचेरा भाई हैं राजू करूंगा। जिनका अपना संगरूर में रिकॉर्डिंग स्टूडियो है फिर मैं उनके पास जाता रहता हूं और उनकी सपोर्ट मेरे को बहुत ज्यादा मिलती है और वहां मैं उनके पास गीत रिकॉर्ड करता रहता हूं।
पत्नी Heera Koranga कैसे आईं गायिकी के क्षेत्र में
कार्यक्रमों में मेरे को ड्यूट गाने के लिए फीमेल आवाज की बड़ी मुश्किल आने लग गई थी। क्योंकि बाहर से किसी फीमेल आर्टिस्ट को बुलाते थे तो कई बार होता था कि उस कलाकार के पास डेट नहीं है या उनकी पेमेंट बहुत ज्यादा होती थी। चलो अच्छी बात है उनके पॉइंट ऑफ व्यू से क्योंकि कलाकार हैं तो पैसे तो लेगा ही क्योंकि उसका यह प्रोफेशन है और लोगों को पैसे देने भी चाहिए। कलाकार को अन्य और परेशानियां होती थी फिर मैंने सोचा क्यों ना मैं अपनी धर्मपत्नी हीरा कोरंगा को इस फील्ड में उतार दूँ। क्योंकि वह बहुत ही अच्छा गाती हैं और उनको संगीत के बारे में पूरी नॉलेज है और उन्होंने संगीत की विधिवत शिक्षा भी ली हुई है। मेरी पत्नी ने शुरू -शुरू में मेरे साथ कई गीत गाए भी थे लेकिन परिवार को संभालना बच्चे छोटे थे तो बहुत मुश्किल हो रही थी. इसीलिए फिर उस समय गाना बंद कर दिया था. फिर मैंने अपनी धर्म पत्नी के साथ मिलकर एक डियूट रिकार्ड किया गया।जिसमे संगीत विनोद मंगोली का था l गीत का अच्छा रिस्पांस आना शुरू हो गया। फिर मैंने एक उनका सोलो ट्रैक भी निकाला उसका रिस्पॉन्स भी बड़ा अच्छा आयाl फिर उसी को जब हम अपने गांव गए तो वीडियो भी बनाया और हमने उसको यूट्यूब चैनल के ऊपर डाल दिया। जिसका इतना जबरदस्त रिस्पांस मिला कि शायद पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। हीरा कोरंगा की आवाज में किसी अन्य चैनलों पर भी गीत बजने शुरू हो गए हैं। म्यूजिक में अभी मेरा ज्यादा काम विनोद मंगोली ही कर रहे हैं। क्योंकि उनको पहाड़ी संगीत की काफी समझ है और खास बात यह है कि उनका व्यवहार भी बहुत अच्छा है। विनोद मंगोली से काम करवा कर मन को संतुष्टि होती है।
आनंद सिंह कोरंगा बताते हैं कि उनके परिवार में उनके माता-पिता के अलावा भाई है। भाई का परिवार है। मेरी धर्मपत्नी HEERA KARONGA है और मेरे दो बेटे हैं एक बेटा मेरा सपोर्ट्स में चला गया है। मेरा तो मन था कि उसको मैं संगीत में डालें। लेकिन उसका शौक नहीं था और वह स्पोर्ट्स में चला गया है। वह भी बड़ी अच्छी लाइन है बहुत अच्छी बात है मुझे बड़ी खुशी होती है। अभी उसने चंडीगढ़ से बॉडी बिल्डिंग का खिताब भी जीता था। दो बार नेशनल बॉक्सिंग मेँ भी हिस्सा ले चुका है.ऑल इंडिया इंटर कॉलेज से उसने ब्रोंज मेडल जीता था। आजकल वह गुड़गांव में नौकरी करता है। दूसरा बेटा ग्रेजुएशन कर रहा है और चंडीगढ़ में ही है अलग-अलग संस्थाओं द्वारा कई बार आनंद सिंह कोरंगा को सम्मानित किया गया है। अपने जीवन में छह सौ से अधिक गीत गाने वाले इस कलाकार ने हमेशा अपनी संस्कृति को संभाल कर रखा है। आने वाली कई पीढ़ियां इन के गीतों को याद रखेंगी।
Anand Singh Koranga Superhit Albums
1- घुड़रियाली दाथुली
2- राधिका तेरो मिठ बुलाड़
3- घुड़रियाली दाथुली भाग 2
4- सिखर हिमालय
5- रंगीलो पहाड़
6- लचकेनी चालरे
7- घस्यारी
8- हीटवे हीरा
9- त्यार चुड़ीबजार
10- बाली उमर
11 प्यारी बिंमलू
12- परदेशी माया दार
13- झुरीगो प्राण नोनस्टोप
14- परदेशी प्राण
15- बसंती पहाड़ों की छैला
16- बसंती रुम झुमा
17- जून दे मुखेड़ी
18- सीला पन्यारी
19- अपड़ पहाड़
20- तेरगुलाबी साड़ी हो भागुली
21- गोरीफुनारा भोजी
22- मुल मुल हसड़
23-उत्तराखंड गुलदस्ता
25- लागीरो चौमास
26- मेरी लछीमां
28- हुड़की बाजूड़े रानीखेत बांटा
30 जम्मू-कश्मीर बोडर
31 हीरा धुर लागीगो घाम
32- रोतेली डाना
33-कसि खाटू दीन
34- नोली पराणा
35 लम्बी धपेली पतेली कमर
36 सूनारेकी चेली हीरा
इन के अलावा और बहुत सारेअन्य सुपर हिट सदाबहार ऐल्वम भी मार्किट में चल रहे है।
The filmwala.com कीऔर से Anand Singh Koranga जी और उन के परिवार को हार्दिक शुभ कामनाएं।









