संगीत सब बंधनों से होता है मुक्त : पम्मी बाई
जानेमाने लोक गायक परमजीत सिंह सिद्धू उर्फ पम्मी बाई ने कहा कि संगीत की हदें-सरहदें नहीं होती हैं, यह सब बंधनों से मुक्त होता है। संगीत विरासत में मिलता है, यह अकादमिक बंदिशों का मोहताज नहीं होता है। उन्होंने लोक संगीत की महत्ता संबंधी कहा कि सूफी संगीत, गुरमत संगीत, शास्त्रीय संगीत सभी की ही बुनियाद लोक संगीत है। वह लेफ्ट एंड राइट चैनल द्वारा आयोजित एक संगीत की शाम जहां डॉली गुलेरिआ भी उपस्थित रहीं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज के समय में संगीत घरानों का प्रभाव कम होकर अकादमिक संगीत का दौर चल गया है। इसलिए बेहद जरूरी है कि विभिन्न शैलियों से जुड़े संगीत को पुर्नप्रभाषित किया जाए।उन्होंने अपनी रचना भी गाकर सुनाई।
जानेमाने लोक गायक परमजीत सिंह सिद्धू उर्फ पम्मी बाई ने कहा कि संगीत की हदें-सरहदें नहीं होती हैं, यह सब बंधनों से मुक्त होता है। संगीत विरासत में मिलता है, यह अकादमिक बंदिशों का मोहताज नहीं होता है। उन्होंने लोक संगीत की महत्ता संबंधी कहा कि सूफी संगीत, गुरमत संगीत, शास्त्रीय संगीत सभी की ही बुनियाद लोक संगीत है। वह लेफ्ट एंड राइट चैनल द्वारा आयोजित एक संगीत की शाम जहां डॉली गुलेरिआ भी उपस्थित रहीं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज के समय में संगीत घरानों का प्रभाव कम होकर अकादमिक संगीत का दौर चल गया है। इसलिए बेहद जरूरी है कि विभिन्न शैलियों से जुड़े संगीत को पुर्नप्रभाषित किया जाए।उन्होंने अपनी रचना भी गाकर सुनाई।
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