डगशाई की इसी जेल में दो दिन बिताए थे महात्मा गांधी ने।



डगशाई की इसी जेल में दो दिन बिताए थे महात्मा गांधी ने। वह यहां जेल में बंद आइरिश कैदियों को मिलने आए थे ना


कि वह यहां कैद थे। आजकल इस जेल को म्यूजियम में बदल दिया गया है सैलानी दूर-दूर से यहां इसे देखने आते हैं। कहते हैं कि 1 अगस्त 1920 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने यहां 2 दिन बिताए थे। जेल में आयरिश बागी सैनिकों को रखा गया था।

 बताया जाता है कि आइरिश नेता एयमन डे वेलेरा के घनिष्ट दोस्त और प्रशंसक थे। महात्मा गांधी ब्रिटिश साम्राज्य की समर कैपिटल शिमला में भी आया करते थे।  महात्मा गांधी का हिमाचल प्रदेश से एक गहरा नाता था.सोलन डिस्ट्रिक्ट के डगशाई छावनी में मिलिट्री जेल भी गांधी जी की हिमाचल आने की गवाही भर्ती है। अंग्रेज इस जेल में बागी सैनिकों को रखा करते थे।


 माना जाता है कि काले पानी के बाद सबसे खतरनाक जेल डगशाई में होती थी. आपको बता दें कि नाथूराम गोडसे को भी इसी जेल में ही रखा हुआ था। गोडसे इस जेल के आखिरी कैदी थे। शिमला जाने वाले पर्यटक इस जेल को भी देखने डगशाई पहुंचते हैं। जेल के साथ ही एक संग्रहालय भी बना हुआ है। जेल के अंदर एक ऐसा विशेष सेल है जहां पर गांधी जी की एक पोट्रेट रखी गई है साथ ही कुर्सी और मेज भी रखा हुआ है। 

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क और कहानी भी मशहूर है बताया जाता है कि डगशाई का नाम कैसे पड़ा। यहां पर कैदियों के माथे के ऊपर गर्म सलाखों से दागा जाता था। दाग -ए-शाही। इसी वजह से इसका नाम डगशाई  पड़ा। कहा जाता है इस जेल में उस समय के बागी सिख सैनिकों को भी रखा गया था और बाद में इन्हें फांसी दे दी गई थी।  ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1849 ईसवी को स्थापित किया था। उस समय इसकी लागत 72875 रूपए की आई थी। 

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